उत्तराखंड

गुरुकुल कांगड़ी विवि को न्यायालय से बड़ी राहत

हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय में उस समय खुशी का माहौल देखने को मिला जब उत्तराखंड उच्च न्यायालय, नैनीताल ने भारत सरकार द्वारा 03 मार्च 2025 को जारी पत्र के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगाते हुए विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति और कुलाधिपति को पद पर बने रहने की अनुमति दे दी। इस निर्णय के बाद शिक्षकेत्तर कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों और कर्मचारियों ने मिठाई बांटकर तथा फूल-मालाएं पहनाकर खुशी जताई।

कुलपति प्रो. हेमलता के. ने इस अवसर पर कहा कि यह निर्णय सभी हितधारकों के लिए उत्साहवर्धक है और न्यायालय ने विश्वविद्यालय की गरिमा को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा, “माननीय उच्च न्यायालय के इस आदेश का सभी ने खुले दिल से स्वागत किया है।”

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उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने 03 मार्च 2025 को एक पत्र जारी कर विश्वविद्यालय की प्रायोजक संस्थाओं को कुछ शर्तों के साथ वर्ष 2027-28 तक यूजीसी रेगुलेशन्स 2019 के अंतर्गत संचालन की अनुमति दी थी, जबकि वर्ष 2023 में लागू यूजीसी रेगुलेशन्स 2023 के तहत शत-प्रतिशत अनुदान प्राप्त करने वाले डीम्ड विश्वविद्यालयों में कुलाधिपति और कुलपति की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा किया जाना अनिवार्य कर दिया गया था।

गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय भारत के उन पाँच डीम्ड विश्वविद्यालयों में शामिल है जिन्हें भारत सरकार पूर्णतः अनुदान देती है। परंपरागत रूप से यहाँ कुलाधिपति और कुलपति की नियुक्तियाँ इसकी प्रायोजक संस्थाओं — आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब, हरियाणा और दिल्ली — द्वारा संयुक्त रूप से की जाती रही हैं।

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नई रेगुलेशन्स के लागू होने के बाद से प्रायोजक संस्थाओं और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच अधिकारों को लेकर विवाद की स्थिति बनी रही। इसी संदर्भ में विश्वविद्यालय के पूर्व सीनेटर डॉ. दीनानाथ शर्मा द्वारा नैनीताल उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी, जिसमें यह सवाल उठाया गया कि जब यूजीसी रेगुलेशन्स 2019 को गजट अधिसूचना के माध्यम से समाप्त कर दिया गया है, तो फिर उन्हें पुनः लागू कैसे किया जा सकता है।

उच्च न्यायालय ने उक्त पत्र के क्रियान्वयन पर रोक लगाते हुए केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है तथा अंतरिम आदेश में वर्तमान कुलपति और कुलाधिपति को विधिवत नियुक्ति होने तक पद पर बने रहने का निर्देश दिया है।

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शिक्षकेत्तर कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष रजनीश भारद्वाज और महामंत्री नरेन्द्र मलिक ने न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए इसे कर्मचारियों के हित में बताया और याचिकाकर्ता डॉ. दीनानाथ शर्मा का आभार प्रकट किया।

इस अवसर पर प्रो. प्रभात कुमार, प्रो. डी.एस. मलिक, प्रो. ब्रह्मदेव, डॉ. वेदव्रत, डॉ. बबलू वेदालंकार, डॉ. उधम सिंह, डॉ. देवेंद्र कुमार गुप्ता, डॉ. कुशवाहा दिलीप कुमार, डॉ. अजीत सिंह तोमर, प्रो. कर्मजीत भाटिया, प्रो. विवेक कुमार सहित अनेक शिक्षक, कर्मचारी एवं विश्वविद्यालय समुदाय के सदस्यों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और मिठाइयाँ बांटकर प्रसन्नता जाहिर की।

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