उत्तराखंड

उत्तराखंड में लागू होगा समान नागरिक संहिता, इतिहास रचने को धामी तैयार



रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई के नेतृत्व में गठित एक समिति अगले कुछ दिनों में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को समान नागरिक संहिता पर एक रिपोर्टसौंप सकती है।

 

उत्तराखंड देश को पहला राज्य बनाने की कदम स्थापित करने जा रहा है, जिसमें यूनिफॉर्म सिविल कोड, यानी यूसीसी (समान नागरिक संहिता), लागू किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, उत्तराखंड सरकार ने इसके लागू होने की तैयारी को पूरा कर लिया है, और इसमें सीएम पुष्कर सिंह धामी की सक्रिय संज्ञानशीलता है।

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई के नेतृत्व में गठित एक समिति जल्दी ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को समान नागरिक संहिता पर एक रिपोर्ट सौंपने की तैयारी कर रही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड विधानसभा को दीपावली के बाद कुछ ही दिनों में एक विशेष सत्र के लिए बुलाया जा सकता है।

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सत्र में समान नागरिक संहिता विधेयक पारित किया सकता है, जिससे इसे कानूनी दर्जा दिया जाएगा।इस साल जून में, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) मसौदा समिति के सदस्य, सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई ने कहा कि उत्तराखंड के लिए समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार हो चुका है और जल्द ही उत्तराखंड सरकार को सौंप दिया जाएगा।

मुझे आपको यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि उत्तराखंड में प्रस्तावित समान नागरिक संहिता का मसौदा अब पूरा हो गया है।” न्यायमूर्ति देसाई ने कहा, “मसौदे के साथ विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार को सौंपी जाएगी।”

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इसके अलावा, सूत्रों ने यह भी कहा कि उत्तराखंड के नक्शेकदम पर चलते हुए गुजरात भी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले समान नागरिक संहिता लागू कर सकता है। इस कदम के साथ ही गुजरात समान नागरिक संहिता लागू करने वाला दूसरा राज्य बन जाएगा।

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड( यूसीसी ) समान नागरिक संहिता 

यूनिफॉर्म सिविल कोड( यूसीसी ) समान नागरिक संहिता में लैंगिक समानता और पैतृक संपत्तियों में बेटियों के लिए समान अधिकार पर जोर दिया गया है। सूत्रों की बात मानें तो यह महिलाओं की विवाह योग्य आयु को बढ़ाकर 21 वर्ष करने का सुझाव नहीं देता है। समिति की सिफारिश में कहा गया है कि महिलाओं के लिए विवाह की आयु 18 वर्ष ही बरकरार रखी जानी चाहिए।

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यह एक ऐसा कानून बनाना है जो शादी, तलाक, विरासत और गोद लेने से संबंधित मामलों में सभी धर्मों पर लागू होगा। विधेयक का विशेषतौर पर विवाह पंजीकरण, तलाक, संपत्ति अधिकार, अंतर-राज्य संपत्ति अधिकार, रखरखाव, बच्चों की हिरासत आदि में एकरूपता पर फोकस है।

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