“गुरुकुल की गरिमा पर कोई आंच नहीं आने देंगे!”


हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय में कुछ प्रायोजित संस्थाओं द्वारा शैक्षणिक वातावरण को दूषित कर अपना अधिपत्य स्थापित करने के प्रयास को विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने एकजुट होकर विफल कर दिया। यह संदेश विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित एक विशेष बैठक में विभिन्न वक्ताओं ने दिया।
प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के सभागार में आयोजित सभा में सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. श्रवण कुमार शर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा कि विश्वविद्यालय पूर्णत: भारत सरकार के अनुदान और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप संचालित हो रहा है। उन्होंने चेताया कि निजी हितों की पूर्ति हेतु कुछ लोग वातावरण को दूषित करने का षड्यंत्र रच रहे हैं, लेकिन कर्मचारियों की एकता के चलते उनका यह प्रयास विफल रहा है और भविष्य में भी ऐसे प्रयासों को सफल नहीं होने दिया जाएगा।
प्रो. एल.पी. पुरोहित ने भी कहा कि विश्वविद्यालय की व्यवस्था पूरी तरह भारत सरकार के नियमों पर आधारित है, और कोई भी नियमविरुद्ध गतिविधि बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सभा को संबोधित करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एवं कांग्रेस नेता वरुण बालियान ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी न केवल हरिद्वार, बल्कि संपूर्ण उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान है। “हम किसी भी कीमत पर इस गौरवमयी संस्था की गरिमा को धूमिल नहीं होने देंगे,” उन्होंने कहा।
पूर्व शिक्षकेत्तर कर्मचारी अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने कहा कि प्रायोजित संस्थाओं का संचालन में कोई औपचारिक योगदान नहीं है, अतः कर्मचारियों का दायित्व है कि वे विश्वविद्यालय को प्रगति के मार्ग पर अग्रसर करें और बाधा डालने वाले तत्वों को निष्कासित किया जाए।
शिक्षकेत्तर कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष रजनीश भारद्वाज ने कर्मचारियों की एकता को संगठन की सबसे बड़ी शक्ति बताया और भरोसा दिलाया कि संगठन विश्वविद्यालय हितों की रक्षा हेतु सदैव तत्पर रहेगा।
महामंत्री नरेंद्र मलिक ने कहा कि बाहरी हस्तक्षेप की कोशिश करने वालों को कर्मचारियों की एकजुटता के कारण पीछे हटना पड़ा है और यह एकता भविष्य में भी विश्वविद्यालय की प्रगति का मार्ग प्रशस्त करती रहेगी।
इस अवसर पर प्रो. नमिता जोशी, प्रो. द्विजेंद्र पंत, प्रो. शशिकांत शर्मा, प्रो. शत्रुघ्न झा, चर्चित बालियान सहित अनेक शिक्षकों और कर्मचारियों ने भी विचार रखे।
सभा में उपकुलसचिव राजेश कुमार पांडेय, प्रो. राकेश शर्मा, प्रो. प्रभात कुमार, प्रो. सुरेखा राणा, डा. सचिन पाठक, डा. अजेन्द्र, डा. अजीत तोमर, डा. हरेन्द्र, डा. शिव कुमार चौहान समेत विश्वविद्यालय के अनेक शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी व पूर्ववर्ती अधिकारी उपस्थित रहे।




