उत्तराखंड

डा. हरीश बोले- संस्कृति का संरक्षण तभी जब रोजगार से जुड़े कलाकार

देहरादून। उत्तराखंड की लोक संस्कृति को संजोने वाले कलाकारों को सम्मान देने के साथ रोजगार से जोड़ने की जरूरत है। तभी इस धरोहर का वास्तविक संरक्षण संभव है। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह क्षेत्र प्रचारक प्रमुख डॉ. हरीश ने शनिवार को धरोहर संस्था की ओर से आयोजित धरोहर संवाद गोष्ठी में कही।

उन्होंने कहा कि जब संस्कृति संरक्षण रोजगार से जुड़ जाएगा तो प्रदेश के युवा भी मेलों, पर्वों और परंपराओं से जुड़कर उन्हें आगे बढ़ाएंगे।

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दो दिवसीय इस कार्यक्रम का समापन आईआरडीटी सभागार, सर्वे चौक में हुआ। मुख्य अतिथि डॉ. हरीश और भाजपा प्रदेश सह कोषाध्यक्ष साकेत अग्रवाल ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

कार्यक्रम में माण क्षेत्र की महिलाओं की सांस्कृतिक टीम ने नंदा देवी व श्री बदरीनाथ भगवान को समर्पित लोकगीत प्रस्तुत किए और उनके अर्थ भी श्रोताओं को समझाए।

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संस्था अध्यक्ष विजय भट्ट ने कहा कि धरोहर संस्था का उद्देश्य युवाओं और आमजन को पारंपरिक त्यौहारों, मेलों, ढोल-दमाऊं, लोकगीतों और लोकदेवताओं से जोड़ना है। उन्होंने बताया कि आगे गोल्ज्यू संदेश यात्रा, व्यापारी सम्मेलन, धार्मिक सम्मेलन, सीमांत सम्मेलन और महिला सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे।

इससे पूर्व शुक्रवार को हुए उद्घाटन सत्र में पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल और पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने भी संस्कृति व पर्यावरण संरक्षण पर अपने विचार रखे।

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गोष्ठी की अध्यक्षता सुनीता टम्टा ने की, जबकि संचालन डॉ. नवीन पंत और अंशुल चावला ने किया।
इस अवसर पर दिनेश बम, सतीश पांडे, कमल किशोर डिमरी, डॉ. श्याम सिंह कार्की, कुंदन सिंह टकोला, राखी रावत, नीलम जुयाल ध्यानी, प्रो. गुड्डी बिष्ट, डॉ. सूरज पवार और सुनीता पंवार सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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