उत्तराखंड

Breaking:यंहा से होंगे ऊंची पहाड़ियों के दीदार,क्योंकि पर्यटन मंत्री कर चुके यंहा का दीदार, पढ़िए इस ऐतिहासिक जगह को,,,

देहरादून। सर जॉर्ज एवरेस्ट हाऊस जो कि बड़ी ही खस्ता हालत में था के जीर्णोद्वार के बाद अब एक प्रमुख पर्यटन केन्द्र के रूप सामने आएगा। निश्चित विश्व के पर्यटक इस आर्कषण स्थान को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक यहाँ आयेंगे।

आज मंगलवार को मसूरी स्थित सर जॉर्ज एवरेस्ट हाऊस के जीर्णोद्वार के बाद उसका लोकार्पण करने सूबे के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने यह बात कही।

आपको बता दें कि मसूरी स्थित सर जॉर्ज एवरेस्ट हाऊस के जीर्णोद्वार के बाद उसके लोकार्पण के बाद आज एक आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि विश्व की सबसे ऊंची चोटी ‘माउंट एवरेस्ट’ की पहली बार सही ऊंचाई और लोकेशन बताने वाले सर जॉर्ज एवरेस्ट के मसूरी स्थित हाऊस के जीर्णोद्वार के बाद उसका लोकार्पण करते हुए उन्हें बड़ा हर्ष हो रहा है।

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महाराज ने कहा कि सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी का नाम ‘माउंट एवरेस्ट’ रखा गया, उन्होंने जीवन का एक लंबा अर्सा पहाड़ों की रानी मसूरी में गुजारा था। वेल्स के इस सर्वेयर एवं जियोग्राफर ने ही पहली बार एवरेस्ट की सही ऊंचाई और लोकेशन बताई थी। इसलिए ब्रिटिश सर्वेक्षक एंड्रयू वॉ की सिफारिश पर वर्ष 1865 में इस शिखर का नामकरण उनके नाम पर हुआ। इससे पहले इस चोटी को ‘पीक-15’ नाम से जाना जाता था।
कहा कि पहाड़ों की रानी मसूरी, हाथीपांव के समीप स्थित 172 एकड़ के बीचों बीच बने सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस (आवासीय परिसर) और इससे लगभग 50 मीटर दूरी पर स्थित प्रयोगशाला (ऑब्जर्वेटरी) जिसका निर्माण 1832 में हुआ था। जब वह यंहा आये तो इसकी जर्जर हालत को देख चुके थे। जिसके बाद उन्होंने इसके जीर्णोद्धार की ठान ली। आज लगभग 23 करोड़ 69 लाख 47 हजार रुपये की लागत से सर जॉर्ज एवरेस्ट (आवासीय परिसर) समेत उसके आसपास के क्षेत्र के जीर्णोद्धार काम पूर्ण कर दिया गया है।

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बताया कि उत्तराखंड पर्यटन संरचना विकास निवेश कार्यक्रम के तहत एशियन डेवलपमेंट बैंक की तरफ से वित्त पोषित योजना के तहत किये गये सर जॉर्ज एवरेस्ट हेरिटेज हाऊस के सभी कार्य लगभग पूर्ण हो चुके हैं।
जिससे महत्वपूर्ण मसूरी स्थित इस ऐतिहासिक धरोहर “सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस” जो कि पूर्व में बेहद खस्ता हालत में था का जीर्णोद्धार कर इसके मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए की भाँति सीमेंट की जगह चक्की में पीस कर बनाए गए मिश्रण से बनाया गया है फिर से सफ़लता की ओर जाएगा।

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