उत्तराखंड

आखिर जिम्मेदार कौन! लकड़ी का पुल पार करते वक्त फिसला मां-बेटे का पैर, मां की मौत, बेटा लापता

थराली। चमोली के देवाल ब्लॉक की एक महिला अपने 15 वर्षीय बेटे के साथ पिंडर नदी पार करने के लिए डाले गए लड़की के पुल के सहारे नदी पार कर रही थी कि अचानक पैर फिसलने के चलते दोनों मां बेटे बह गए। महिला का शव नदी किनारे मिल गया जबकि उसके बेटे का पता नहीं चल पाया है। एसडीआरएफ की टीम के शनिवार सुबह तक घटनास्थल पर पहुंचने की संभावना है।

बताया जा रहा है कि, महिला अपने मायके बागेश्वर जिले के किलपारा गांव पूजा के लिए गई थी। में हैं। वें पिछले दिनों अपने मायका रामपुर अपने बेटे को लेकर पूजा के लिए मायके गई थी। मायके से लौटते वक्त नदी पार करते समय देवाल ब्लाक के रामपुर गांव निवासी हेमा देवी 35 पत्नी प्रताप राम एवं प्रवीन कुमार 15 पुत्र प्रताप राम संतुलन खो कर पिंडर नदी में जा गिरे एवं नदी के तेज बहाव मे बह गए हैं।

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कुछ दूरी पर रामपुर गांव के पास हेमा देवी नदी किनारे पत्थरों के बीच फंस गई। आसपास के लोग यह देख बचाने के लिए दौड़े। उन्होंने हेमा देवी को पत्थरों के बीच से निकाला लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी जबकि उसके बेटे का पता नहीं चल पाया। घटना की सूचना प्रशासन को दे दी गई है। राजस्व उपनिरीक्षक प्रमोद नेगी ने कहा कि उन्हें एसडीआरएफ को सूचित कर दिया गया है। शनिवार सुबह अभियान शुरू हो पाएगा।

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बता दें कि विकासखंड देवाल के अंतर्गत चमोली के अंतिम गांव हरमल के पास पिंडर नदी पर बना पुल वर्ष 2013 की आपदा में बह गया था। जिसके बाद ग्रामीण लड़की का पुल बनकर ही नदी को पार करते हैं। वहीं 2020 में लोक निर्माण विभाग द्वारा ट्रॉली लगाई गई जिसके सहारे ग्रामीण नदी पार कर आवाजाही करते थे। लेकिन 2020 में ही बरसात में नदी के तेज बहाव में ट्रॉली भी बह गई। जिसके बाद लोक निर्माण विभाग हर साल नदी पर करने के लिए अस्थायी लकड़ी का पुल बना देता था। लेकिन बरसात खत्म होते ही ग्रामीण अपने संसाधनों से आवाजाही के लिए अस्थायी भुत्ति का निर्माण करते हैं। जिसपर जान जोखिम में डालकर लोग आवाजाही करने को मजबूर हैं। लेकिन प्रशासन द्वारा 2013 की आपदा के बाद यहां कोई स्थाई पुल नहीं बनाया। शायद प्रशासन को किसी और बड़े हादसे का इंतजार है।

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