उत्तराखंड

लेंटना नियंत्रण और बंदर नसबंदी जरूरी, टास्क फोर्स गठन से सुरक्षित रहेंगे वन्य जीव और ग्रामीण

 

हरिद्वार।

डीपीएस फेरूपुर स्कूल में वन्यजीव सप्ताह का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर छात्रों ने पावरप्वॉइंट प्रेजेंटेशन, निबंध, भाषण और स्लोगन प्रतियोगिताओं के माध्यम से वन्य जीवन और प्रकृति संरक्षण की अहमियत को करीब से समझा।

 

कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित प्रसिद्ध पक्षी एवं पर्यावरण विशेषज्ञ, गुरुकुल कांगड़ी के पूर्व प्रोफेसर व कुलसचिव प्रो. दिनेश चंद्र भट्ट ने छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत की जैविक विविधता अत्यंत समृद्ध है, लेकिन इसकी सुरक्षा के लिए शिक्षा और जागरूकता अनिवार्य है।

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प्रो. भट्ट ने चेताया कि उत्तराखंड में बाघों की संख्या 560 और तेंदुओं की संख्या 2200 से अधिक हो गई है। बढ़ती आबादी के कारण वन्य जीव गांवों के पास आने लगे हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ रहा है। अप्रैल-जून में जंगलों में आग और लेंटना झाड़ी के अधिक फैलाव के कारण वन्य जीव किसानों और ग्रामीणों के करीब पहुंचते हैं, जिससे प्रतिवर्ष लगभग दो दर्जन लोग मारे जाते हैं और 100 से अधिक घायल होते हैं।

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उन्होंने सुझाव दिया कि ग्रामीण क्षेत्रों में लेंटना झाड़ी का नियंत्रण, बंदरों की नसबंदी, और हर जिले में टास्क फोर्स का गठन जरूरी है। इससे वन्य जीवन भी सुरक्षित रहेगा और ग्रामीणों की जान-माल को नुकसान नहीं पहुंचेगा।

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कार्यक्रम में डीपीएस सोसाइटी के अध्यक्ष प्रो. राजेंद्र अग्रवाल और सचिव अशोक त्रिपाठी ने अपने विचार साझा किए। प्रधानाचार्य नमिता  ने छात्रों, शिक्षकों और सहयोगियों का धन्यवाद किया और कहा कि वन्यजीव सप्ताह के अंतर्गत और भी ज्ञानवर्धक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

 

 

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