देहरादून। साइन्स एजुकेशन एण्ड रिसर्च सेन्टर (यूर्सक) के सहयोग से विज्ञान सेतु नामक साप्ताहिक कार्यशाला का शुभारम्भ हुआ। इसमें उत्तराखण्ड के दूरस्थ सरकारी स्कूलों से 58 विद्यार्थी, जिसमें 23 छात्र एवं 35 छात्रायें भागीदारी कर रही हैं। इसमें दिनांक 28 नवम्बर से 3 दिसम्बर 2022 तक उन्हें भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जन्तु विज्ञान तथा वनस्पति विज्ञान के उनके पाठ्यक्रम के सैद्धान्तिक व प्रयोगात्मक विषयों का प्रशिक्षण दिया जायेगा।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि लोकसेवा आयोग उत्तराखण्ड के सदस्य प्रोफेसर जगमोहन सिंह राणा ने देवी सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि आज यह बढ़ी चिन्ता का विषय है कि यूनेस्को की रिपोर्ट में भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान (आई०आई०टी०. आई०आई०एम०, यूनिवर्सिटीस) विश्व रैकिंग में शीर्ष 250 में भी नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि हमें यह लगता है कि पश्चिम ही ज्ञान के मामले में श्रेष्ठ है, लेकिन यदि हम अपने इतिहास को देखें तो नालन्दा, तक्षशिला और अनेक विश्वविद्यालय रहे हैं जहां ज्ञान का अकत भण्डार था। जिसे विदेशी आक्रान्ताओं ने नष्ट कर दिया।
उन्होंने आगे कहा कि हमें अपनी जड़ों को टटोलना होगा और विदेशी ज्ञान व तरीकों के पीछे भागने के बजाये अपनी समस्याओं के वास्तविक समाधान ढूंढने होंगे और वांछित परिणामों के लिये हमें 3 सूत्रीय मार्ग का अनुसरण करना होगा, जिसमें पहला वैज्ञानिक रूप से सुस्पष्ट, दूसरा आर्थिक रूप से व्यवहारिक तथा तीसरा सामाजिक रूप से स्वीकार्य आदि मार्गों का अनुसरण करना उचित होगा।
उन्होंने छात्रों का आह्वान किया कि वे परम्परागत रूप से हटकर सोचें, लक्ष्य निर्धारित करें, लक्षण को धारण करें और प्रक्रिया को दुरूस्त करें, क्यों कि प्रक्रिया ठीक होने से ही परिवर्तन आते है। उन्होंने बताया कि विज्ञान साधना का विषय है और उन्नत तकनीक के इस दौर में उपलब्ध परम्परागत ज्ञान का बेहतरीन इस्तमाल करके समस्याओं के वास्तविक वैज्ञानिक समाधान ढूंढने की आवश्यकता है।
इस दौरान पूर्सक के वरिष्ठ वैज्ञानिक व कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. भावतोष शर्मा ने कहा कि यूसक की निदेशक प्रो. अनीता रावत के कुशल मार्गदर्शन में उत्तराखण्ड में विज्ञान शिक्षा एवम् शोध के विकास के लिए अनेकों कार्यक्रम चलायें जा रहे हैं जिनके सुखद परिणाम दिखाई दे रहें हैं। उन्होनें बताया कि यूर्सक उत्तराखण्ड के प्रत्येक जिले में स्टेम प्रयोगशाला बना रहा है जिसमें सभी स्कूलों के छात्रों को सभी तरह के प्रयोगात्मक कार्य सीखने के मौके मिलेंगे।
डॉल्फिन इन्स्टिट्यूट की प्राचार्या डॉ. शैलजा पन्त ने सभी प्रतिभागियों एवम् अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने संस्थान द्वारा चलाये जा रहे शैक्षणिक व शोध कार्यक्रमों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विज्ञान सेतु कार्यक्रम के माध्यम से उत्तराखण्ड के दूरस्थ स्कूलों में प्रयोगशालायें से वचित जागरूक विज्ञान विषय के छात्रों को सिद्धान्त और प्रयोग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ.आशीष रतूड़ी ने बताया कि उत्तराखण्ड के अधिकांश ग्रामीण स्कूलों में प्रयोगशालायें व शिक्षक न होने के चलते छात्र विज्ञान विषय में प्रवेश नही ले पाते और जो लेते भी है ये विषय के सिद्धान्त य प्रयोग से अपरिचित रहते हैं। उन्होंने बताया कि भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जन्तु विज्ञान और वनस्पति विज्ञान के विशेषज्ञों के कुशल मार्गदर्शन में सभी प्रयोगों को संकलित कर विज्ञान सेतु कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है और इसके तहत छात्रों को एक सप्ताह तक प्रशिक्षण दिया जायेगा।
इस अवसर पर डॉ. सुधीर नौटियाल, डॉ. श्रुति शर्मा, डॉ० ज्ञानेन्द्र अवस्थी, डॉ. वीरेन्द्र कठत, डॉ. केपी त्रिपाठी, डॉ. विदित त्यागी, डॉ. दीपक कुमार, डॉ. दिनेश कुमार भारद्वाज तथा डॉ. दीपाली राणा के साथ शिक्षक ये छात्र-छात्रायें उपस्थित थे।


