उत्तराखंड

मिसाल : ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय जौलीग्रांट ने मिसाल की स्थापित


-1000 किलोवॉट का नया रूफ टॉप सोलर प्लांट स्थापित, एसआरएचयू के अध्यक्ष डॉ.विजय धस्माना ने किया औपचारिक उद्घाटन

-विश्वविद्यालय में रूफ टॉप सोलर प्लांट की क्षमता बढ़कर हुई 2500 किलोवॉट

-16 फीसदी बिजली की जरूरत को सौर ऊर्जा से कर रहे पूरा

देहरादून। स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जौलीग्रांट ने ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में एक और मिसाल स्थापित की है। विश्वविद्यालय में 1000 किलोवॉट का नया रूफ टॉप सोलर प्लांट स्थापित किया गया है। अध्यक्ष डॉ.विजय धस्माना ने औपचारिक उद्घाटन किया। इसके साथ ही विश्वविद्यालय में स्थापित रूफ टॉप सोलर प्लांट की क्षमता बढ़कर 2500 किलोवॉट हो गई है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन महामारी के पूर्व के स्तर तक पहुंचने के करीब है। स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जॉलीग्रांट के अध्यक्ष डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि इसका प्रमुख कारण है बड़े संस्थानों में बिजली की खपत में बेइंतहा वृद्धि। बिजली की खपत को कम करने के लिए सौर ऊर्जा सबसे बेहतरीन विकल्प है। सूर्य हमेशा से ऊर्जा का सबसे भरोसेमंद स्रोत रहा है।

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-वर्ष 2007 में बढ़ाया पहला कदम
अध्यक्ष डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि सौर ऊर्जा के महत्व को हम समझते हैं। इसके लिए संस्थान में विशेषज्ञों की एक समिति बनाई गई है। भविष्य की जरूरत को समझते हुए ऊर्जा संरक्षण की ओर हमने वर्ष 2007 में पहला कदम बढ़ाया था। तब हिमालयन हॉस्पिटल, कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट सहित सभी हॉस्टल में सोलर वाटर हीटर पैनल लगाए गए थे।

-वर्ष 2017 में स्थापित किया पहला 500 किलोवॉट रूफ टॉप सोलर पैनल

अध्यक्ष डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि वर्ष 2017 में राष्ट्रीय सौर मिशन से जुड़ने का फैसला किया। हिमालयी राज्यों में रूफ टॉप सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए सरकार की ओर से प्रदान की जा रही 70 फीसदी सब्सिडी को देखते हुए सोलर पैनल लगाने का फैसला लिया। नर्सिंग और मेडिकल कॉलेज में 500 किलोवॉट रूफ टॉप सोलर पैनल लगाए।

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-82,19,330 किलोवॉट (यूनिट) बिजली की बचत
अध्यक्ष डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि वर्ष 2017 से अब तक विश्वविद्यालय कैंपस स्थित विभिन्न भवनों की छतों में 2500 किलोवॉट का सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं। इससे अब तक एसआरएचयू 82,19,330 किलोवॉट (यूनिट) बिजली की बचत कर चुका है।

-करीब 5660 टन कार्बन  उत्सर्जन की कमी
अध्यक्ष डॉ.विजय धस्माना ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के खतरे दिखने लगे हैं। इसका बड़ा कारण है कार्बन उत्सर्जन। एसआरएचूय में 2500 किलोवॉट रूफ टॉप सोलर पैनल की मदद से 5660 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है। उत्तराखंड के किसी भी संस्थान की तुलना में यह एक रिकॉर्ड है।

-16 फीसदी बिजली की जरूरत सौर ऊर्जा से कर रहे पूरा
इलेक्ट्रिकल व मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग प्रभारी गिरीश उनियाल ने बताया कि संस्थान में ऊर्जा मांग के अनुसार 3500 किलोवॉट का बिजली संयंत्र लगाया गया है। बीते तीन वर्षों में संस्थान अपनी बिजली की 16 फीसदी मांग सोलर पावर प्लांट से पूरा कर रहा है।

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-सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से पहाड़ों में पहुंचाया पानी
अध्यक्ष डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि सौर ऊर्जा का इस्तेमाल हमने पहाड़ों के दुरस्थ गांवों में पानी पहुंचाने के लिए भी किया है। टिहरी के चंबा में ग्राम चुरेड़धार में सोलर पंपिंग प्लांट के जरिये गांव में पानी पहुंचाया।

-सीआईआई से मिला ‘ग्रीन प्रैक्टिसेस अवॉर्ड
अध्यक्ष डॉ.विजय धस्माना ने बताया कि संस्थान की इन तमाम उपलब्धियों के लिए हाल ही में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने विश्वविद्यालय को ‘ग्रीन प्रैक्टिसेस अवॉर्ड’ की सर्विस कैटेगरी में ‘गोल्ड अवॉर्ड’ से सम्मानित किया। इस कैटेगेरी में उत्तर भारत का पहला व एकमात्र संस्थान होने का गौरव भी हासिल किया। है।

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