उत्तराखंड

खोज : चाइना की नई खोज ने भारत की चिंता बढ़ाई, पढ़ें

नई दिल्ली :  चीन में हुई एक नई खोज ने भारत की चिंता बढ़ा दी है। चीन, रूस ने मिलकर हैक न होने वाली quantum communications system की खोज की है। यह 4000 किलोमीटर दूर तक संवाद में सक्षम है। चीन ने अपने  Mozi satellite के जरिए इस उपलब्धी को हासिल किया। जिसका उद्देश्य हैकिंग से मुक्त कम्युनिकेशन सिस्टम विकसित करना है। टैक्नलॉजी के क्षेत्र में यह चीन की एक और बड़ी उपलब्धी है।

भारत को भी जुड़ने का न्यौता

रूस के राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और रूसी क्वांटम केंद्र (RQC) के सदस्य अलेक्सी फेडोरोव ने दिसंबर में इस परियोजना का खुलासा किया था। क्वांटम टैक्नलॉजी में भारत की मजबूत स्थिति को देखते हुए भारत को भी पिछले वर्ष जुलाई में इस परियोजना में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था। ( जब ब्राजील-रूस-इंडिया-चीन (BRICS) समूह की एक बैठक हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार नई दिल्ली को इस परियोजना में शामिल करने का प्रस्ताव भारत से इन्कार कर दिया है। भारत इस परियोजना को खुद के लिए खतरा मानता है। इसलिए वह अन्य देशों के साथ मिलकर क्वांटम कम्युनिकेशन तकनीक विकसित करना चाहता है।

यह भी पढ़ें 👉  गढ़वाल महासभा ने उत्तराखंडी संस्कृति के प्रहरी कलाकार को किया सम्मानित

चीन के शिंजियांग और मास्को को जोड़ा

इस प्रयोग में चीन के Mozi उपग्रह की सहायता से मॉस्को और चीन के शिंजियांग क्षेत्र को पहली बार आपस में जोड़ा गया है। इस योजना के लिए चीन ने 2016 में क्वांटम कम्युनिकेशन रिसर्च की शुरूआत की थी। यह सिस्टम क्वाटंग कंप्यूटिंग व सुपर कंप्यूटर्स के जरिए तैयार किया गया है। जो पूरी तरह से एनक्रप्टिेड भाषा में संवाद करता है। पारंपरिक कम्युनिकेशन की टैक्नलॉजी में हैकिंग का खतरा काफी अधिक रहता है। optical fiber केबल का इस्तेमाल लंबी दूरीयों के लिए अब भी सीमित है।

यह भी पढ़ें 👉  गढ़वाल महासभा ने उत्तराखंडी संस्कृति के प्रहरी कलाकार को किया सम्मानित

रूसी राष्ट्रपति ने भी बड़ी उपलब्धि करार दिया

रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन ने पिछले साल मॉस्को में फ्यूचर टेक्नोलॉजीज फोरम में कहा था कि उन्होंने क्वांटम टेक्नोलॉजी को अर्थव्यवस्था और डिजिटल बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण भूमिका देने की योजना बनाई है। ब्रिक्स देशों ब्राजील, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के साथ भविष्य की प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाना पर भी बात होगी। पर इस परियोजना के लिए आधुनिक उपग्रहों की जरूरत होगी। इन उपग्रहों को तैयार करने के लिए रूस को भारत की जरूरत है।

यह भी पढ़ें 👉  गढ़वाल महासभा ने उत्तराखंडी संस्कृति के प्रहरी कलाकार को किया सम्मानित
SGRRU Classified Ad
SGRRU Classified Ad
SGRRU Classified Ad

The Latest

To Top