उत्तराखंड

Breaking: AIIMS ऋषिकेश का एक और कांड, हड्डी औऱ कंकाल की खरीद में करोड़ों का घपला,,

उत्तराखंड। एम्स ऋषिकेश में टेंडर आकलन समिति ने जमकर घपला किया। उन्होंने छात्रों के प्रयोग के लिए हड्डियां और कंकाल ऐसी कंपनी से खरीद लिए जो सड़क साफ करने वाली मशीन बेचती थी। इस कंपनी ने कभी प्रयोग के लिए कंकालों की बिक्री ही नहीं की। इसके लिए कंपनी को तीन करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। वर्ष 2018 में हुई इस खरीद में भी समिति के सदस्यों ने एम्स का लाखों का घाटा कराया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार,दरअसल, कंकाल और हड्डियां खरीदने के लिए भी टेंडर जारी किए गए थे। इनमें प्रो मेडिक डिवाइस नाम की कंपनी ने खुद को सड़क साफ करने वाली मशीन (कांपेक्ट रोड स्वीपिंग मशीन) बेचने वाली दर्शाया था। साथ खुद को मानव कंकाल और हड्डियां बेचने वाली कंपनी भी दर्शाई। दूसरी कंपनियों को दरकिनार करते हुए टेंडर आकलन समिति ने प्रो मेडिक डिवाइस कंपनी के नाम से टेंडर निकाल दिया। वर्ष 2018 में कंपनी से 32.33 लाख रुपये में पांच मानव कंकाल, 77.59 लाख रुपये में एक कंकाल और मानव हड्डियों का एक सेट 1.90 लाख रुपये में खरीदा गया। यह पूरी खरीद करीब 2.99 लाख रुपये में हुई।

यह भी पढ़ें 👉  प्रतीक कालिया बने भाजपा के नए जिला महामंत्री, संगठन में बढ़ा जोश

सीबीआई ने जब इस मामले की जांच की तो पाया कि प्रो मेडिक डिवाइस तो कभी इस कारोबार में शामिल ही नहीं रही। न ही उसका इस कारोबार में जीएसटी पंजीकरण है। पता चला कि कंपनी को करोड़ों का फायदा पहुंचाते हुए खुद भी समिति के मेंबर लाखों रुपये डकार गए। नामी कंपनी को दरकिनार कर दोगुने दाम में पुरानी मशीन खरीदी।

एम्स ऋषिकेश में सड़क साफ करने के लिए एक नामी कंपनी को दरकिनार कर दूसरी कंपनी से नई की जगह पुरानी मशीन खरीद ली गई। वह भी दोगुने से अधिक दाम में। इस मशीन पर न तो निमार्ता का नाम था और न ही निर्माण का वर्ष लिखा था। सीबीआई की जांच में पाया गया कि यह मशीन केवल 124 घंटे चली और इसकी मरम्मत पर साढ़े चार लाख रुपये खर्च कर दिए गए।

यह भी पढ़ें 👉  DM देहरादून सविन बंसल का सख्त फरमान – बजट का इंतजार नहीं, तुरंत बनेगी आपदा राहत व्यवस्था

कांपेक्ट रोड स्वीपिंग मशीन बेचने के लिए देश की नामी कंपनी यूरेका फोर्ब्स ने टेंडर में भाग लिया था। यूरेका फोर्ब्स जो मशीन एम्स को बेचना चाहती थी वह मानकों के हिसाब से थी। इसकी कीमत उन्होंने एक करोड़ रुपये दर्शाई थी। यह मशीन इटली में बनी थी जबकि टेंडर आकलन समिति ने इस कंपनी को दरकिनार कर दिया और टेंडर प्रो मेडिक डिवाइस के नाम निकाल दिया। इस कंपनी ने एम्स को जो मशीन बेची उसकी कीमत 2.05 करोड़ वसूली। जांच में पाया गया कि इस मशीन से केवल 124 घंटे काम लिया गया जबकि उसके ऊपर करीब साढ़े चार लाख रुपये खर्च कर दिए गए। सीबीआई ने माना है कि यह मशीन ठीक कर नई जैसी बनाई गई थी और धोखाधड़ी कर एम्स को बेच दी गई।

यह भी पढ़ें 👉  देहरादून DM सविन बंसल की जनसुनवाई में 144 शिकायतें दर्ज, मौके पर ही कई मामलों का समाधान

न तो पंजीकरण और न ही जीपीएस

इस मशीन को स्थानीय आरटीओ के यहां रजिस्टर्ड कराना था लेकिन चार वर्षों तक इसका कोई पंजीकरण नहीं कराया गया। यही नहीं, नियमों के तहत इस पर जीपीएस भी लगाया जाना था। मगर, एम्स प्रबंधन इस पर जीपीएस भी नहीं लगवा सका। इस मशीन पर न तो कोई निर्माण वर्ष लिखा था और न ही निर्माता का नाम।

SGRRU Classified Ad
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

The Latest

To Top