उत्तराखंड

सिद्धा अक्षरा ने ऋषिकेश में रचा कमाल, 8 देशों के योग प्रेमियों को दिया ‘ग्लोबल यूनिटी’ का संदेश

ऋषिकेश। योगाचार्य हिमालय सिद्धा अक्षरा के नेतृत्व में तपोवन, ऋषिकेश में देश-विदेश के पर्यटकों के लिए 10 दिवसीय निशुल्क योग शिविर आयोजित किया गया। शिविर में भारत के साथ-साथ ताइवान, दुबई, सिंगापुर, जापान, इटली, यूके और यूएसए से आए प्रतिभागियों ने योग की विभिन्न क्रियाएं सीखीं।

योगाचार्य हिमालयन सिद्धा अक्षरा ने कहा कि योग का अर्थ ‘जोड़ना’ है और यह सुखद है कि आज योग ने पूरी दुनिया को एक सूत्र में पिरो दिया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में विश्व अशांति, तनाव और अस्थिरता से जूझ रहा है, ऐसे में योग शांति की दिशा दिखाने वाला मार्ग है।

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योगाचार्य ने योग को ‘मानवता का पॉज बटन’ बताते हुए कहा कि योग व्यक्ति को रुकने, सांस लेने, संतुलन बनाने और स्वयं को पुनः पूर्ण महसूस करने की क्षमता देता है। उन्होंने कहा कि योग को सिर्फ व्यक्तिगत अभ्यास तक सीमित न रखें, बल्कि इसे वैश्विक साझेदारी और लोकनीति का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।

उन्होंने बताया कि योग सही तरह से जीने का विज्ञान है, जो व्यक्ति के भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक सभी पहलुओं पर कार्य करता है। आज की व्यस्त जीवनशैली में शरीर की उपेक्षा के कारण लोग लगातार बीमारियों से घिर रहे हैं, ऐसे में प्रतिदिन योग करने से आत्मविश्वास बढ़ता है और निरोगी काया प्राप्त होती है।

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योगाचार्य ने कहा कि योग के माध्यम से भारत ने दुनिया को नई दिशा दी है। नियमित योग-अभ्यास रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और गंभीर बीमारियों से लड़ने की शक्ति देता है। उन्होंने बताया कि षट्कर्मों के माध्यम से शरीर की नाड़ियां—इड़ा और पिंगला—संतुलित होती हैं, जिससे शारीरिक और मानसिक शुद्धता आती है तथा वात, पित्त और कफ का संतुलन स्थापित होता है।

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उन्होंने चेतावनी दी कि षट्कर्म जैसे उच्च अभ्यास केवल अनुभवी गुरु के मार्गदर्शन में ही सीखने चाहिए। परंपरा के अनुसार गुरु से व्यक्तिगत निर्देश प्राप्त करने के बाद ही व्यक्ति को दूसरों को सिखाने का अधिकार होता है।

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