उत्तराखंड

इंदिरेश अस्पताल में मेडिकल करिश्मा: डॉक्टरों ने महिला की गर्दन से निकाला 1 किलो का थायरॉयड ट्यूमर

देहरादून। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल ने एक दुर्लभ और चुनौतीपूर्ण सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देते हुए चिकित्सा क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अस्पताल के नाक-कान-गला (ईएनटी) विभाग के डॉक्टरों ने एक महिला की गर्दन से 1 किलोग्राम वजन का विशाल थायरॉयड ट्यूमर निकालकर नया कीर्तिमान स्थापित किया। सामान्यत: थायरॉयड का वजन मात्र 25 ग्राम होता है, ऐसे में इतना बड़ा ट्यूमर निकालना डॉक्टरों के लिए अत्यंत जटिल चुनौती था।

अस्पताल के चेयरमैन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने ईएनटी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. त्रिप्ती ममगाईं तथा उनकी टीम को इस साहसिक और अत्यंत जोखिमपूर्ण सर्जरी की सफलता पर बधाई दी।

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मरीज श्रीमती शबनम, निवासी रामनगर (नैनीताल), पिछले छह वर्षों से असामान्य रूप से बढ़े हुए थायरॉयड, हाइपरथायरॉयडिज्म और वोकल कॉर्ड पाल्सी से पीड़ित थीं। अत्यधिक बढ़े हुए ट्यूमर ने भोजन नली और श्वास नली पर दबाव बनाकर स्थिति को गंभीर बना दिया था। इतना ही नहीं, सूजन के कारण बाएँ रिकरेंट लैरिंजल नर्व दबने से वोकल कॉर्ड में लकवा आ गया था।

चार घंटे चली इस ऑपरेशन का नेतृत्व डॉ. त्रिप्ती एम. ममगाईं ने किया। उनकी टीम में डॉ. शरद हर्नौत, डॉ. ऋषभ डोगरा, डॉ. फातिमा अंजुम, डॉ. सौरभ नौटियाल और एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. पुनीत शामिल थे। हाइपरथायरॉयडिज्म के साथ इतनी बड़ी ग्रंथि का ऑपरेशन सर्जरी और एनेस्थीसिया—दोनों स्तरों पर अत्यधिक जोखिमपूर्ण माना जाता है।

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डॉ. ममगाईं ने बताया कि उन्होंने एक विशेष संशोधित चीरा तकनीक का इस्तेमाल किया, जिसकी मदद से रिकरेंट लैरिंजल नर्व और पैराथायरॉयड ग्रंथियों को सुरक्षित रखते हुए इतनी विशाल ग्रंथि को हटाया जा सका। खास बात यह रही कि पूरी प्रक्रिया में मरीज की छाती खोलने की आवश्यकता नहीं पड़ी, जो इस उपलब्धि को और भी उल्लेखनीय बनाता है।

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सर्जरी के बाद मरीज ने बताया कि कई अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों ने उनकी जटिल स्थिति को देखते हुए ऑपरेशन करने से मना कर दिया था, लेकिन इन्दिरेश अस्पताल की टीम ने न केवल चुनौती स्वीकार की, बल्कि बेहतरीन परिणाम भी दिया। मरीज अब स्वस्थ हैं और स्वयं को “नया जीवन मिलने” जैसा अनुभव कर रही हैं।

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