उत्तराखंड

हरकी पैड़ी पर खतरा: हिमालय के भूगर्भीय बदलावों से गंगा घाट असुरक्षित

हरिद्वार की हरकी पैड़ी न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भूगर्भीय दृष्टि से भी अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है। यह गंगा नदी के पश्चिमी तट पर वह स्थल है जहाँ से गंगा मैदानों में प्रवेश करती है। हिमालय की तलहटी में होने के कारण, यहाँ लगातार भूगर्भीय परिवर्तन होते रहते हैं, जो कभी-कभी नदी प्रवाह और घाट संरचनाओं पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं।

हिमालय की भू-वैज्ञानिक पृष्ठभूमि

हिमालय का निर्माण लगभग 5 करोड़ वर्ष पूर्व टेथिस सागर के तलछट से हुआ था। आज भी इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट के टकराव के कारण यह पर्वत श्रृंखला हर साल 5 मिमी से 20 मिमी तक उठ रही है। यही वजह है कि हिमालय क्षेत्र में भूकंप, भूस्खलन और जलधारा में बदलाव सामान्य घटनाएँ हैं।

यह भी पढ़ें 👉  जलवा:हिमालयन विश्वविद्यालय में पहली बार भव्य रामलीला, स्टाफ और छात्रों ने दिखाया जलवा

हरकी पैड़ी पर संभावित खतरे

1. भूस्खलन: ढलानों पर वन कटाई और निर्माण कार्य से मिट्टी कमजोर हो सकती है।

2. नदी प्रवाह का असंतुलन: मानसून में गंगा का जलस्तर बढ़कर घाट की तटीय संरचना को नुकसान पहुँचा सकता है।

यह भी पढ़ें 👉  महंत इन्दिरेश अस्पताल में विशेषज्ञ बोले – दर्द से निजात की सबसे असरदार राह है फिजियोथेरेपी

3. गाद जमाव (Siltation): हिमालय से आने वाली तलछट हरकी पैड़ी के आसपास जमा होकर नदी की धारा बदल सकती है।

4. भूकंपीय सक्रियता: उत्तराखंड “सीवियर सीस्मिक जोन IV–V” में आता है, जहाँ 6–8 तीव्रता के भूकंप की संभावना रहती है।

 

वैज्ञानिक समाधान

भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geotechnical Survey): घाट की नींव और चट्टानों की जांच।

हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग: गंगा प्रवाह की दिशा और जलस्तर का पूर्वानुमान।

सुदृढ़ीकरण (Reinforcement): RCC पाइल्स और स्टील एंकरिंग तकनीक।

यह भी पढ़ें 👉  महंत इन्दिरेश अस्पताल में विशेषज्ञ बोले – दर्द से निजात की सबसे असरदार राह है फिजियोथेरेपी

Slope Stabilization: ढलानों पर पेड़, झाड़ियाँ और घास की जड़ों से मिट्टी को स्थिर करना।

सिस्मिक रेट्रोफिटिंग: भूकंप-रोधी संरचनाएँ।

River Training Structures: स्पर, गाइड-बंड और चेक-डैम बनाकर नदी की धारा नियंत्रण।

निष्कर्ष

हरकी पैड़ी की सुरक्षा केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यंत आवश्यक है। समय रहते भूगर्भीय, हाइड्रोलॉजिकल और पर्यावरणीय उपाय किए जाएँ, तो इस अमूल्य धरोहर को हिमालय से उत्पन्न प्राकृतिक संकटों से बचाया जा सकता है।

SGRRU Classified Ad

The Latest

To Top