उत्तरकाशी। सरकार की महत्वाकांक्षी योजना “हर घर नल, हर घर जल” को कब पंख लगेंगे इसका ग्रामीणों को आज भी इंतजार है। नेता बड़े बड़े दावे करते है कि पानी के बिना अब लोग प्यासे नही रहेगे मगर जुग्याडा, कुरीसौड, रेशगी, खलियाणढुंग, जसपुर और देवलडांडा के ग्रामीणों की दुर्दशा देखें तो यहां लोग पानी की एक बूंद के लिए महीनों से तरस रहे है। ये सभी गांव प्रखंड डुंडा के ग्राम सभा टिपरा और जुणगा के अंतर्गत आते है।
पेयजल आपूर्ति सही तरीके से हो और पानी के लिए कोई परेशान न रहे इसके लिए विभाग ने इन गांवो मे दस पीटीसी और एक जूनियर अभियंता भी रखे है मगर फिर भी यहां के ग्रामीणों ने पिछले दो महीनो से नलो पर एक बूंद पानी भी नही देखी। गांव के लोग दो किलोमीटर दूर एक गधेरे से घोडे खच्चरों और कंधो पर पानी ढो रहे है।
ग्राम प्रधान सीमा गौड बताती है कि इन गांवो के लोग स्वच्छ पेयजल के बजाय दूषित गधेरे का पानी पीने को मजबूर है विभाग के लोगो से बात करने पर कोई सुनने को तैयार नही है, इन दिनों गांवो में मवेसियो को भी पूरा पाना नहीं मिल पा रहा और गांव के लोग आदिवासियों की तरह जीवन जी रहे है। सरकार के दावे यहां कही धरातल पर नही दिखते नजर आ रहे है और जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी गहरी नींद मे है। ग्रामीणों ने कहा कि यदि शीघ्र नलो पर पानी नही आया तो उनके सब्र का बांध टूट जायेगा और वह खाली बर्तनों के साथ डीएम कार्यालय का घेराव कर देंगे।
वहीं ग्रामीणों का कहना है कि सन 2000 मे उत्तर प्रदेश के शासन काल में पेयजल योजना स्वीकृत हुई थी। जिसके निर्माण के लिए शासन द्वारा जल निगम उत्तरकाशी को धन का आवंटन भी किया गया था जिसके निर्माण हेतु जल निगम द्वारा सन 2002 में निविदा आमन्त्रित की गई किन्तु किन्हीं कारणो से विभाग के द्वारा निविदाएं निरस्त की गई। उसके बाद विभाग के द्वारा उक्त योजनाओं पर वर्तमान तक निविदाएं आमन्त्रित नहीं की ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों से सम्पर्क करने पर पता चला कि योजना के निर्माण हेतु आवश्यक जल स्रोत नहीं मिल पा रहा है।
ग्रामीणों के द्वारा अधिशासी अभियन्ता जल निगम को स्रोत की फोटोग्राफ दिखाया गया किन्तु निरंकुश अधिकारियों द्वारा उक्त योजना का पुनः सर्वे नहीं किया गया विगत बर्ष 2020 में जिलाधिकारी के द्वारा केन्द्र सरकार की महत्व कांक्षी योजना के तहत इस योजना को जलसंस्थान उत्तरकाशी को स्थानान्तरित किया गया जिसके बाद ग्रामीणों के घर के आगे बिना पानी के नल खड़े कर दिए किन्तु स्रोत से लाईन बिछाने एवं टैक निर्माण का अभी तक अनुबन्ध नहीं हो पाया है। अब ग्रामीण उग्र आंदोलन के लिए बाध्य हो रहे हैं।




