उत्तराखंड

अमृत वाटिका में वैदिक परंपरा के संग उपनयन संस्कार सम्पन्न

हरिद्वार। अमृत वाटिका परिसर स्थित यज्ञशाला में आज नव प्रविष्ट ब्रह्मचारियों का उपनयन (यज्ञोपवीत) एवं वेदारम्भ संस्कार वैदिक विधि और मंत्रोच्चार के साथ सम्पन्न हुआ। वृहद्यज्ञ के ब्रह्मा डॉ. योगेश शास्त्री ने ऐतरेय उपनिषद के अनुसार ब्रह्मचारियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी और आचार्यों के संरक्षण में श्रेष्ठ जीवन निर्माण का संदेश देते हुए वेदारम्भ संस्कार का महत्व बताया।

 

गुरुकुल के मुख्याधिष्ठाता डॉ. दीनानाथ शर्मा ने कहा कि ब्रह्मचारियों को जीवन में उच्चता के साथ श्रेष्ठता का लक्ष्य रखना चाहिए। परिश्रम ही जीवन को श्रेष्ठ बनाता है और आचार्य ब्रह्मचारी को सही दिशा प्रदान करता है।

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गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रभात कुमार ने कहा कि उन्हें इसी गुरुकुल में कक्षा प्रथम से पढ़ने का अवसर मिला। यहां छात्र एक-दूसरे को ‘भाई जी’ कहकर संबोधित करते हैं। उन्होंने घोषणा की कि गुरुकुल में पढ़ने वाले छात्रों को विश्वविद्यालय में प्रवेश पर पाँच प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा।

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हरिद्वार नगर निगम की मेयर किरण जैसल ने अभिभावकों को श्रावणी उपाकर्म पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बच्चों को गुरुकुल में भेजना श्रेष्ठ कार्य है। रानीपुर विधायक आदेश चौहान ने कहा कि प्राचीन परम्पराएं हमें इतिहास से जोड़े रखती हैं। गुरुकुल में उपनयन संस्कार देखकर मन प्रसन्न हुआ।

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सांस्कृतिक कार्यक्रम में ब्र. कुनाल व स्वप्निल ने वेदपाठ प्रस्तुत किया, जबकि तरुण, मयंक, कार्तिक, रोहित, नकुल, युवराज, अनन्त, कृष्णा, आलोक, मुदित, उदित और निशांत ने संस्कृत गीत गाकर सभी का मन मोह लिया। छोटे बच्चों की प्रस्तुतियों को भी खूब सराहना मिली। संगीत संयोजन धर्मेन्द्र आर्य ने किया।

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