श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल ने संभाली जिम्मेदारी: झंडीचौड़ में मानसिक अक्षम बच्चों के लिए बड़ा स्वास्थ्य शिविर
झंडीचौड़, कोटद्वार।
क्षेत्र में बढ़ती मानसिक एवं विकासात्मक समस्याओं को देखते हुए श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय एवं श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल, पटेल नगर देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को झंडीचौड़, कोटद्वार में विशेष स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया गया। यह शिविर उसी चिंता का परिणाम है, जिसे स्थानीय प्रतिनिधियों ने विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती ऋतु भूषण खंडूड़ी के संज्ञान में लाया था कि इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में बच्चे मानसिक अक्षमता और विकासगत कठिनाइयों से जूझ रहे हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्वी भारती देवी एजुकेशन फाउंडेशन, कोटद्वार के निदेशक डॉ. कमलेश कुमार द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। उल्लेखनीय है कि विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती खंडूड़ी ने श्री दरबार साहिब, देहरादून आगमन के दौरान श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के चेयरमैन श्रीमहंत देवेंद्र दास जी महाराज से झंडीचौड़ में विशेष शिविर आयोजित करने का अनुरोध किया था।
उसी क्रम में श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की छह सदस्यीय विशेषज्ञ टीम ने शिविर में 100 से अधिक बच्चों का मानसिक, शारीरिक और विकासात्मक परीक्षण किया। टीम ने बच्चों की मानसिक सेहत का आकलन करते हुए स्क्रीनिंग के आधार पर विस्तृत डाटा तैयार किया, जिसके आधार पर यह विश्लेषण किया जाएगा कि मानसिक अक्षमता या व्यवहारगत समस्याओं के पीछे चिकित्सीय, पोषण संबंधी या पर्यावरणीय कारण क्या हो सकते हैं।
शिविर में झंडीचौड़, लोकमणिपुर, किशनपुर, कलाल घाटी व हल्दूखाता सहित आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में अभिभावक अपने बच्चों के साथ पहुँचे और डॉक्टरों को स्वास्थ्य संबंधी विस्तृत जानकारी प्रदान की।
विशेष शिविर में श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल, देहरादून के मनोरोग विभाग से डॉ. विदुषी मक्कड़ व डॉ. मनकरन संधू, बाल एवं शिशु रोग विभाग से शिशु मनोचिकित्सक डॉ. अर्चना सिंह व डॉ. अनुपम जोशी तथा कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग से डॉ. रविकांत और डॉ. आलोक कुमार ने अपनी सेवाएँ प्रदान कीं।
शिविर को सफल बनाने में बलराज दत्ता, सत्य प्रकाश थपलियाल, डॉ. नंद किशोर, जितेंद्र नेगी, एसजीआरआर पब्लिक स्कूल के निदेशक धीरेन्द्र मोहन रतूड़ी, एसजीआरआर पैरामेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गिरीश उनियाल एवं श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के जनसंपर्क अधिकारी हरिशंकर गौड़ का विशेष सहयोग रहा।
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