उत्तराखंड

दर्द से कराहती रही गर्भवती, बदसलूकी कर नर्स लौटाया वापस, सड़क पर दिया बच्चे को जन्म

उत्तरकाशी। उत्तराखंड में गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए सौभाग्यवती योजना और महालक्ष्मी योजना जैसी कई योजनाएं चलाई तो जाती हैं, लेकिन धरातल पर इन योजना की सच्चाई अक्सर देखने को मिल जाती हैं। सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं को इन योजना का लाभ मिलना तो दूर प्रसव पीड़ा से कहराती हुई महिलाओं को बैरंग लौटाया जाता है। ऐसा ही एक मामला उत्तरकाशी के बड़कोट से सामने आया है, जहां प्रसव पीड़ा से कराहती हुई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची महिला को बिना जांच किए ही स्टाफ नर्स ने  वापस लौटा दिया गया। इसके बाद वापस लौट रही महिला ने पैदल रास्ते में ही बच्चे को जन्म दे दिया। इसके बाद स्थानीय निवासियों ने जच्चा-बच्चा को उसी अस्पताल में भर्ती कराया।

यह भी पढ़ें 👉  Uttarakhand News: पंचायतों में आरक्षण पर आई तीन हजार से अधिक आपत्तियां, जिलाधिकारी आज से करेंगे निपटारा

बता दें कि गर्भवती महिला ग्राम चपटाड़ी निवासी किरण सुरक्षित प्रसव के लिए बड़कोट में अपने रिश्तेदार के घर आई थी। सोमवार को किरण को प्रसव पीड़ा हुई तो स्वजन उसे लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बड़कोट पहुंचे। वहां अस्पताल की स्टाफ नर्स ने उन्हें अस्पताल में प्रसव की सुविधा न होने की बात कहकर वापस जाने को कहा।

यह भी पढ़ें 👉  आईएमए पासिंग आउट परेड में दिखा भारत-श्रीलंका की मित्रता का प्रतीक

जब स्वजन ने उनसे महिला को भर्ती करने का अनुरोध किया तो नर्स अभद्रता करने लगी। इस पर स्वजन महिला को लेकर वापस लौटने लगे। इसी बीच महिला को असहनीय दर्द हुआ। यह देख आसपास की महिलाएं मौके पर पहुंची और रास्ते में ही महिला ने बच्चे को जन्म दे दिया। इसके बाद स्वजन ने जच्चे-बच्चे को सीएचसी में भर्ती कराया। जिसके बाद स्थानीय निवासियों ने क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर रोष जताया है।

यह भी पढ़ें 👉  संदीप चमोली ने सरकार पर लगाया लापरवाही का आरोप

उधर, मामले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बड़कोट के प्रभारी चिकित्साधिकारी अंगद राणा का कहना है कि स्वजन को गर्भवती महिला को भर्ती करने के लिए कहा गया था, लेकिन स्वजन महिला को साथ ले गए। अस्पताल में सामान्य प्रसव कराए जाते हैं, जबकि सिजेरियन या केस क्रिटिकल होने पर ही गर्भवती को रेफर किया जाता है।

The Latest

To Top