राजनीति:27 साल की इशिता का सियासी विस्फोट — ताऊ की मास्टर स्ट्रोक से दिग्गज सोना ने मैदान छोड़ा


टिहरी गढ़वाल /जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्ज़ा जमाने की इस जंग में बाज़ी उस खिलाड़ी ने मारी, जिसने चाल चलने में कोई देर नहीं की। भाजपा के टिकट के बावजूद, दो बार की पूर्व अध्यक्ष सोना सजवाण, इशिता सजवाण के सामने अपना किला बचा नहीं सकीं। नतीजा—नामांकन वापसी के दिन मैदान छोड़ना पड़ा और भाजपा ने बिना वक्त गंवाए इशिता को पार्टी का आधिकारिक चेहरा घोषित कर दिया।
इस पूरे सियासी खेल में इशिता के ताऊ और मशहूर व्यवसायी वीरेंद्र सिंह सजवाण किंगमेकर बनकर उभरे। उनकी बेदाग़ सामाजिक छवि और शालीन व्यवहार ने सत्ता के गलियारों से लेकर गांवों तक, कई बड़े नामों को इशिता के पाले में ला खड़ा किया।
सोना सजवाण का भरोसा निर्विरोध जिला पंचायत सदस्य चुने जाने और पुराने राजनीतिक अनुभव पर था, लेकिन राजनीति में भरोसा नहीं, तेज़ी जीत दिलाती है। इशिता, पहली बार चुनाव जीतने वाली 27 वर्षीय युवा चेहरा होते हुए भी, परिणाम घोषित होते ही पूरे समीकरण पर कब्ज़ा करने में जुट गईं।
उन्होंने जीत के अगले ही पल कांग्रेस के 14 सदस्यों का समर्थन अपने नाम कर लिया और निर्दलीयों को भी विपक्ष से मिलने का मौका तक नहीं दिया। यह चाल इतनी तेज़ थी कि सोना कैंप को समझ आने से पहले ही बाज़ी हाथ से निकल चुकी थी।
भरोसे और इंतज़ार में समय गंवाने वाले सोना कैंप के सामने जब इशिता ने टिकट की दावेदारी ठोकी, तो बची-खुची उम्मीदें भी ध्वस्त हो गईं। आख़िरकार, चुनावी रणभूमि में बिना लड़े ही सोना सजवाण को मैदान छोड़ना पड़ा और भाजपा ने इशिता को अपना ‘विजयी चेहरा’ बना दिया।




