नैनीताल में न्यू ईयर का शोर आतंक, DJ के आगे कानून बेआवाज़!
नैनीताल।
दिसंबर का आख़िरी हफ़्ता आते ही नैनीताल की ठंडी वादियों में सुकून नहीं, बल्कि तेज़ DJ की धड़कनें गूंजने लगती हैं। क्रिसमस और न्यू ईयर के जश्न के नाम पर होटल और रिजॉर्ट्स में देर रात तक चलने वाली पार्टियों ने शहर और आसपास के गांवों के लोगों की नींद और चैन छीन लिया है। लाउड स्पीकर और तेज़ म्यूज़िक ऐसा लगता है मानो कानून सिर्फ़ ऑफ-सीज़न के लिए बना हो।
शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में बने कई होटल और रिजॉर्ट खुलेआम तेज़ आवाज़ में DJ और म्यूज़िक सिस्टम चलाते हैं। इसके चलते आसपास रहने वाले परिवारों—खासतौर पर बच्चे, बुज़ुर्ग, महिलाएं और बीमार लोग—मानसिक यातना झेलने को मजबूर हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह शोर-शराबा मनोरंजन नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी में ज़हर घोल रहा है।
होटल संचालकों की दलील रहती है कि दिन के समय लाउड स्पीकर पर कोई रोक नहीं है, जबकि सच्चाई इससे बिल्कुल उलट है। Noise Pollution (Regulation and Control) Rules, 2000 के तहत दिन हो या रात, बिना लिखित अनुमति लाउड स्पीकर चलाना अवैध है।
इतना ही नहीं, माननीय उत्तराखंड हाई कोर्ट ने WPPIL No. 112/2015 में 10 अगस्त 2020 को स्पष्ट आदेश दिया था कि बिना लिखित अनुमति और तय मानकों से अधिक ध्वनि किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं होगी। हाई कोर्ट ने निर्देशित किया है कि दिन के समय भी लाउड स्पीकर के उपयोग के लिए सक्षम प्राधिकारी से लिखित अनुमति लेना अनिवार्य है और ध्वनि स्तर क्षेत्र की निर्धारित सीमा से अधिक नहीं होना चाहिए।
इसके बावजूद हर साल नैनीताल में कानून की आवाज़ DJ के बेस में दब जाती है। बच्चों की नींद, बुज़ुर्गों का स्वास्थ्य और बीमारों की परेशानी—सब कुछ जश्न की चकाचौंध में कुचल दिया जाता है। स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या प्रशासन और पुलिस केवल तमाशबीन बने रहेंगे?
अब सवाल सीधा है—नया साल 2026 क्या कानून के साथ आएगा या फिर वही पुराना शोर और वही पुरानी चुप्पी?
अगर नैनीताल में शांति हार गई, तो समझिए कानून भी हार गया।
