उत्तराखंड

हिमालयन इंस्पिरेशन: आरडीआई स्थापना दिवस पर शिक्षा और स्वास्थ्य में सेवा की नई ऊँचाई

हरिद्वार। हिमालयन इंस्टिट्यूट हॉस्पिटल ट्रस्ट (एचआईएचटी) के तहत संचालित ग्राम्य विकास संस्थान (रूरल डेवलेपमेंट इंस्टिट्यूट – आरडीआई) का 20 और 21 सितंबर को भव्य रूप से स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया गया। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में स्वास्थ्य शिविर, जागरूकता अभियान और छात्रवृत्ति वितरण जैसे विविध कार्यक्रम शामिल थे, जिन्होंने समाज के हर तबके को लाभान्वित किया।

रविवार को आरडीआई सभागार में मुख्य समारोह का शुभारंभ संस्थापक डॉ. स्वामी राम के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि और एचआईएचटी की अध्यक्षीय समिति के सदस्य डॉ. विजय धस्माना ने कहा कि गुरुदेव डॉ. स्वामी राम ने ग्रामीण क्षेत्र के समग्र विकास के उद्देश्य से एचआईएचटी की नींव रखी थी। उन्होंने बताया कि आरडीआई का बीज आज एक विशाल वृक्ष बनकर समाज के जरूरतमंद लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवा की छांव प्रदान कर रहा है।

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आरडीआई की निदेशक बी. मैथिली ने संस्थान के इतिहास, उसकी सामाजिक गतिविधियों और ग्रामीण क्षेत्र में किए गए योगदान की जानकारी साझा की। कार्यक्रम का संचालन नीलम पाण्डेय ने किया। इस दौरान डायरेक्टर ऑपरेशन साधना मिश्रा, डॉ. राजीव बिज्लवाण, नीतेश कौशिक, सुनील खंडूड़ी सहित अन्य अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।

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छात्रवृत्ति से शिक्षा में सहयोग
स्थापना दिवस पर 59 जरूरतमंद और मेधावी बच्चों को छात्रवृत्ति प्रदान की गई। प्रत्येक बच्चे को दस हजार रुपए की स्कॉलरशिप दी गई। इनमें अधिकांश बच्चे अनाथ या एकल अभिभावक के संरक्षण में हैं, या आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद शिक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। साधना मिश्रा ने बताया कि ध्यान मंदिर ट्रस्ट के “सक्षम कार्यक्रम” के तहत 1000 से अधिक बच्चों को आजीविका, शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

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स्वास्थ्य शिविर और जागरूकता अभियान
हरिद्वार जिले के बहादराबाद, सलेमपुर और भगवानपुर जैसे सीमित स्वास्थ्य सुविधाओं वाले क्षेत्रों में 35 कार्यकर्ताओं की टीम ने निशुल्क स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए। इन शिविरों से 2000 से अधिक रोगियों को लाभ मिला। साथ ही पांच स्कूलों में बच्चों को मादक पदार्थों के दुष्प्रभावों और योगाभ्यास की जानकारी दी गई। ड्रॉप-आउट बच्चों को विभिन्न गतिविधियों में शामिल किया गया और 1000 दिव्यांगजनों को शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

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