अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य जयेन्द्र रमोला ने जारी एक बयान में कहा कि विधानसभा भर्ती घोटाले को लेकर आज माननीय उच्च न्यायालय की डबल बैंच ने फ़ैसला सुना कर बताया कि नियुक्तियाँ ग़लत थी और सभी को नौकरी से हटाने के सरकार के फ़ैसले को सही ठहराया ।
रमोला ने बताया कि हमें पूर्व से ही अंदेशा था कि चौथी विधानसभा में हुई नियुक्तियों में से बहुत सी नौकरियाँ पर तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष ने आर्थिक लाभ लिया है क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने पद पर रहते नियुक्तियाँ सृजित कर नौकरी देने का काम किया व फिर संसदीय कार्य मंत्री व वित्त मंत्री बनते ही इन नौकरियों को वित्त स्वीकृति दी एक ही व्यक्ति अलग अलग पद बैठते ही किस स्वार्थ से ये सब कर रहे थे इसलिये कहीं ना कहीं इससे स्पष्ट प्रतीत होता है कि इसमें आर्थिक लाभ लिया गया है ।
रमोला ने कहा कि जब सरकार की जाँच व माननीय न्यायालय के फ़ैसले पर नौकरी पाने वालों पर बर्ख़ास्तगी की गाज गिरी है परन्तु बैकडोर से ग़लत नियुक्तियाँ देने वालों पर सरकार क्यों नहीं कार्यवाही कर रही है सरकार क्यों कार्यवाही से बच रही है मेरी माँग है कि सरकार को जल्द से जल्द दोषी मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल को बर्खास्त कर उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई करनी चाहिये ।
रमोला ने कहा कि मेरी संवेदना नौकरी से निकाले गये उन सभी लोगों के साथ है परन्तु कहीं ना कहीं ये ग़लत भी है । मैं उन सभी लोगों से कहना चाहता हूँ कि जिन लोगों ने नौकरी के एवज़ में पैसे दिये हैं वे हमें बतायें हम नौकरी के एवज़ में पैसे लेने वाले नेताओं और अधिकारियों के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे और उनपर कार्यवाही करवाने के लिये न्यायालय की शरण लेंगे ।




