चंपावत। माता पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं ताकि वह पढ़ लिखकर कुछ बन सकें और देश का नाम रोशन कर सकें, लेकिन उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों की हकीकत कुछ और है। प्रदेश के अलग-अलग सरकारी स्कूलों से अक्सर शिक्षकों के गायब रहने के और बच्चों को राम भरोसे छोड़ने के मामले सामने आते रहेते हैं। ताजा मामला चंपावत जिले के बाराकोट ब्लॉक के दूरस्थ राजकीय प्राथमिक विद्यालय बोतड़ी का है जहां स्कूल में पढ़ाने के लिए तीन शिक्षक तो हैं लेकिन बावजूद इसके बच्चे खाली कुर्सियों को निहारने को मजबूर हैं।
दरअसल, राजकीय प्राथमिक विद्यालय बोतड़ी नौनिहालों को पढ़ाने के लिए कभी भी तीनों शिक्षक विद्यालय में मौजूद नहीं रहते। हद तो तब हो गई जब स्कूल में तीनों ही शिक्षकों की कुर्सी खाली मिली और बच्चों की देखभाल का जिम्मा भोजन माता को सौंपा गया था।
शिक्षकों की गैरहाजिरी पर ग्रामीणों में आक्रोश
उधर, शिक्षकों की गैरहाजिरी पर ग्रामीणों में आक्रोश है। ग्रामीणों ने कहा विद्यालय में 3 शिक्षक होने के बावजूद उनके बच्चों को पढ़ाने के लिए एक शिक्षक भी मौजूद नहीं है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि शिक्षकों ने अपना अलग ही रूटीन बनाया गया है। स्कूल से अधिकतर 2 शिक्षक छुट्टी पर रहते हैं। केवल एक शिक्षक विद्यालय में मौजूद रहता है, जो कि कभी समय पर नहीं आता है। ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग से शिक्षकों पर कड़ी कार्यवाही करने व विद्यालय की व्यवस्था सुधारने की मांग की है।
दो शिक्षक अवकाश पर
बता दें कि विद्यालय में 3 शिक्षकों तैनात किए गए हैं, जिनमें से एक शिक्षक मेडिकल अवकाश पर है। एक शिक्षक विशेष अवकाश पर है और केवल प्रधानाअध्यापिका ही ड्यूटी पर है। लेकिन वह भी समय पर विद्यालय नहीं पहुंचती है।
प्रधानाध्यापिका पर गिरी गाज
वहीं मामला जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी चंपावत चंदन सिंह बिष्ट के संज्ञान में आने पर उन्होंने तत्काल कार्यवाही करते हुए विद्यालय की प्रधानाध्यापिका माया पुनेठा का सत्रांध लाभ समाप्त करने के आदेश जारी किए। दरअसल, प्रधानाअध्यापिका मार्च में रिटायर हो चुकी थी, लेकिन उन्हें मार्च 2023 तक सत्रांध लाभ दिया गया था। इसके अलवा विशेष छुट्टी पर गए शिक्षक की छुट्टी समाप्त कर विद्यालय आने के आदेश दिए गए हैं। इसके साथ ही सभी शिक्षकों को विद्यालय में समय पर आने की चेतावनी दी गई है।
शिक्षकों पर होगा कड़ी कार्रवाई
बेसिक शिक्षा अधिकारी चंदन सिंह बिष्ट ने कि कहा ड्यूटी पर लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों पर कड़ी विभागीय कार्रवाई की जाएगी। विद्यालय में 3 विद्वान शिक्षकों के होने के बावजूद भी नौनिहालों को पढ़ाने के लिए विद्यालय में 1 शिक्षक का मौजूद ना होना नौनिहालों के भविष्य के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ है।




