हरिद्वार । गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 सोमदेव शतांशु का पांच दिवसीय नेपाल दौरा दिनांक 31.03.2024 को सम्पन्न हो गया । प्रो0 शतांशु ने इस दौरान दिनांक 27-29 मार्च को काठमांडू में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय नेपाल-भारत-संस्कृत सम्मेलन में भाग लिया ।
सम्मेलन में ‘‘बहुशास्त्रीयसंस्कृताध्ययनम्’’ विषय पर सम्बोधित करते हुए प्रो0 सोमदेव शतांशु ने संस्कृत के वैज्ञानिक साहित्यसंदर्भ पर प्रकाश डाला । उन्होंने दुनिया में संस्कृत के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करते हुए कहा कि संस्कृत में उपलब्ध सूक्ष्मज्ञानविज्ञान को ग्रहण करने में देश-विदेश के वैज्ञानिक प्रयत्नशील दिखायी देते हैं उदाहरणार्थ अमेरिका स्थित नासा के पास विविध ज्ञान-विज्ञान की लाखों संस्कृत पाण्डुलिपियों का संग्रह मौजूद है । सम्मेलन में प्रो0 सोमदेव शतांशु के वक्तृत्व को व्यापक प्रशंसा और समर्थन प्राप्त हुआ ।

इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन नेपाल के नीति-अनुसंधान प्रतिष्ठान, केन्द्रीय संस्कृत संस्थान दिल्ली तथा इण्डिया फाउण्डेशन दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में किया गया था जिसमें दुनियाभर से आये लगभग 40 विश्वविद्यालयों के कुलपति तथा शोध संस्थानों के निदेशकों सहित विश्वविख्यात विद्वानों अपने व्याख्यान प्रस्तुत किये । इस अवसर पर भारत तथा नेपाल के संस्कृत विद्वानों द्वारा नीति अनुसंधान प्रतिष्ठान नेपाल के संयोजकत्व में दोनों देशों में संस्कृत अध्ययन केन्द्रों की स्थापना किये जाने का प्रस्ताव पारित किया गया ।
इस दौरान प्रो0 सोमदेव शतांशु ने त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमांडू के संस्कृत विभाग के विद्यार्थियों और शोधार्थियों को सम्बोधित किया । त्रिभुवन विश्वविद्यालय के कुलपति तथा प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा प्रो0 सोमदेव शतांशु का अभिननन्दन किया गया । उल्लेखनीय है कि नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू में संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. माधव प्रसाद उपाघ्याय तथा डॉ. सुबोध शुक्ला गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के ही स्नातक रहे हैं ।
अपने नेपाल दौरे के दौरान प्रो0 सोमदेव शतांशु का नेपाल आर्यसमाज की केन्द्रीय सभा द्वारा स्वागत किया गया । इस अवसर पर गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के ही स्नातक रहे डॉ. ताराचन्द शास्त्री ने मान्य कुलपति प्रो0 सोमदेव शतांशु को आर्यसमाज की ओर से अंगवस्त्र, स्मृतिचिन्ह तथा शॉल भेंटकर सम्मानित किया । नेपाल आर्यसमाज के सम्बन्ध में यह विशेषरूप से उल्लेखनीय है
कि इसकी स्थापना गुरुकुल सिकन्दराबाद के स्नातक डॉ. शुक्रराज शास्त्री द्वारा की गयी थी । आर्यसमाज के प्रचार-प्रसार के क्रम में उनके द्वारा नेपाल की जनता में व्याप्त अनेक कुरीतियों तथा मूर्तिपूजा इत्यादि का विरोध करने पर उन्हें तत्कालीन राजशाही द्वारा कारागार में डालकर भयंकर यातनांए दी गयी थी जिससे उनका देहावसान हो गया था ।
प्रो0 सोमदेव शतांशु ने अपनी यात्रा के दौरान नेपाल के अनेक बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों तथा आर्यसमाज के पदाधिकारियों से भेंट की तथा गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की गतिविधियों एवं प्रगति से सबको अवगत कराते हुए उन्हें विश्वविद्यालय पधारने का निमन्त्रण दिया । कार्यक्रम के उच्चकोटि के आयोजन तथा अविस्मरणीय आतिथ्य प्रदान करने के लिए प्रो0 सोमदेव शतांशु ने नेपाल सरकार तथा आयोजक मण्डल का साधुवाद ज्ञापित किया है ।
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