उत्तराखंड

मंथन: SGRRU नेशनल कॉन्फ्रेंस में देशभर के विशेषज्ञ जुटे, फार्मा शिक्षा–उद्योग साझेदारी पर गहन मंथन

देहरादून। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज की ओर से 21–22 नवंबर 2025 को दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस का सफल आयोजन किया गया। सम्मेलन का मुख्य विषय था— “उद्योग और अकादमिक जगत के बीच अंतर को पाटना : फार्मास्यूटिकल साइंसेज का सतत भविष्य”।
कार्यक्रम में उत्तराखंड सहित देश के विभिन्न राज्यों से 500 से अधिक छात्र एवं अनेक विशेषज्ञ शामिल हुए।

सम्मेलन का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रो. दुर्गेश पंत, महानिदेशक, यूकोस्ट एवं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, उत्तराखंड सरकार; विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. प्रथप्पन के. पिल्लई तथा कॉन्फ्रेंस कन्वीनर डॉ. दिव्या जुयाल द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।

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मुख्य अतिथि प्रो. पंत ने अपने उद्बोधन में कहा कि अकादमिक–उद्योग सहयोग ट्रांसलेशनल रिसर्च को गति देने के साथ-साथ वैज्ञानिक पारिस्थितिकी को मजबूत बनाता है। उन्होंने नवाचार आधारित संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।

विशिष्ट अतिथि प्रो. मिलिंद जनराव उमेकर, अध्यक्ष, एपीटीआई ने फार्मेसी शिक्षा को उद्योग की बदलती अपेक्षाओं के अनुरूप ढालने की जरूरत पर प्रकाश डाला। वहीं प्रो. दीपेन्द्र सिंह, अध्यक्ष, शिक्षा विनियमन समिति (PCI) ने नियामक जागरूकता और दक्षता-आधारित प्रशिक्षण को समय की मांग बताया।

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प्रो. रोहित दत्त, उपाध्यक्ष, एपीटीआई ने नवोदित फार्मासिस्टों में अनुसंधान, उद्यमिता और कौशल-वृद्धि की संस्कृति विकसित करने पर जोर दिया।

सम्मेलन के दौरान चार तकनीकी सत्र आयोजित हुए, जिनका संचालन देशभर के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों एवं उद्योग विशेषज्ञों ने किया। सत्रों में दवा विकास में नवाचार, नियामकीय परिदृश्य, तकनीकी उन्नति और फार्मा सेक्टर में भविष्य की प्रतिभा जैसे विषयों पर विचार-विमर्श हुआ।
120 से अधिक मौखिक एवं पोस्टर प्रस्तुतियाँ प्रदर्शित की गईं, जिनमें से श्रेष्ठ प्रस्तुतियों को समापन सत्र में सम्मानित किया गया।

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कार्यक्रम को डीएसटी–एएनआरएफ, भारत सरकार का आर्थिक सहयोग प्राप्त हुआ तथा अल्केम लेबोरेट्रीज, इंटास फार्मास्यूटिकल्स, चिनार फार्मा, एबी कंसल्टेंसी, शिवनितिन एजेंसियाँ, अरिटो फार्मा और आरिन हेल्थकेयर प्रा. लि. सहित कई उद्योग भागीदारों ने प्रायोजित किया।

सम्मेलन में देश के सात राज्यों से आए आठ विशिष्ट विशेषज्ञों, अनेक विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों के प्राचार्यों एवं निदेशकों ने भाग लेकर आयोजन को महत्वपूर्ण दिशा प्रदान की।

कॉन्फ्रेंस को सफल बनाने में प्रो. दिव्या जुयाल (डीन), प्रो. योगेश जोशी, प्रो. जी. ज्ञानराजन, अजय सिंह बिष्ट तथा सभी संकाय एवं स्टाफ सदस्यों का योगदान उल्लेखनीय रहा।

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