उत्तराखंड

ख़ुलासा: करोडों के कर्ज में डूबे उत्तराखंड में,अब तक माननीय विधायकों पर करोड़ों खर्च,, ज़रा पढिए ख़ुलासा,,,

देहरादून। प्रदेश में जिस तरह से सफेदपोशों पर अब तक करोडों रुपया खर्च हो चुका है,कंही नहीं लगता कि यह वही अपना उत्तराखंड है जो हजारों करोड़ रुपए के कर्ज में डूबा है। यह एक्सपोज एक RTI के तहत हुआ है। जिसमे 21 साल के युवा उत्तराखंड में विधायकों के सरकारी खर्च में लगभग 100 करोड़ रुपया खर्च हो चुका है।

विधायकों के वेतन भत्तों पर खर्च हुए करोड़ों

उत्तराखंड की 70 सीटों वाली विधानसभा में माननीयों के ठाठ बाट कम नहीं है। राज्य के गठन से लेकर नवंबर 2021 तक 21 सालों में यहां के विधायकों के वेतन भत्तों पर अब तक 96 करोड़ 42 लाख 29 हजार 105 रुपये खर्च हो चुके हैं। सबसे बड़ी बात है कि इनमें 13 करोड़ 45 लाख 45 हजार 875 रुपये वेतन का उन्हें भुगतान किया गया है, जबकि 82 करोड़ 98 लाख 93 हजार 230 रुपये  का भत्तों जैसे निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, चालक भत्ता, सचिवीय भत्ता तथा मकान किराया भत्ता के लिए भुगतान किया गया है। आरटीआई के इस खुलासे से लोग हैरान हैं। जानकार मानते हैं कि कर्ज के बोझ तले डूब रहे राज्य में माननीयों के शाही खर्चों पर कंट्रोल होना चाहिए।

यह भी पढ़ें 👉  बैठक:कैबिनेट की बैठक हुई खत्म,कैबिनेट बैठक में 4 प्रस्ताव आए

आरटीआई में हुआ ये खुलासा

दरअसल आरटीआई एक्टिविस्ट नदीमुद्दीन ने एक आरटीआई दाखिल की थी जिसके जवाब में उत्तराखंड विधान सभा सचिवालय ने ये जानकारी उपलब्ध कराई है। आरटीआई एक्टिविस्ट के मुताबिक उन्होंने उत्तराखंड विधानसभा के लोक सूचना अधिकारी से उत्तराखंड के विधायकों को भुगतान किए गए वेतन भत्तों की वर्षवार सूचना मांगी थी। इसके जवाब में विधानसभा सचिवालय उत्तराखंड के लोक सूचना अधिकारी हेम चंद्र पंत ने जानकारी दी कि प्रदेश में विधायकों के वेतन भत्तों पर 96.42 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं।

यह भी पढ़ें 👉  बड़ी खबर:आईएएस बंशीधर तिवारी को मुख्यमंत्री के अपर सचिव का अतिरिक्त दायित्व

प्रदेश पर 72 हजार करोड़ का कर्ज

यह हाल तब है जब उत्तराखंड पर 72 हजार करोड़ के लगभग का कर्ज है और अगर यही हालत रही तो अगले 3 साल में ये कर्ज 1 लाख करोड़ों रुपये के पास पहुंच जाएगा। राज्य की हालत ये है कि वेतन और पेंशन पर सबसे ज्यादा बजट का हिस्सा जाता है। राज्य सरकार का टोटल राजस्व वह यानी कुल बजट का 50 फीसद वेतन और पेंशन पर खर्च हो जाता है और विधायक कहते है ये सीएम का विवेक है कि वो विधायकों के खर्चे कम करते है या नहीं।

यह भी पढ़ें 👉  तकनीकी शिक्षा में नई उड़ान: गुरुकुल कांगड़ी को मिला एम.टेक (ईसीई) की मंज़ूरी

फिजूलखर्ची में सबसे आगे

उत्तराखंड में फिजूलखर्ची की बात करें तो सबसे ज्यादा फिजूलखर्ची होती है। पिछले सालों के आंकड़े देखें तो अधिकारियों मंत्रियों के लिए हर बार नई लाखों की गाड़ियां आती हैं। उत्तराखंड जैसे छोटे पर्वतीय राज्य जिसके पास राजस्व इकट्ठा करने का संसाधन ज्यादा नहीं है लेकिन फिजूल खर्च करने में उत्तराखंड देश के राज्यों में अव्वल है।

97 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

The Latest

To Top