अपणि भाषा, अपणि शान – एसजीआरआरयू में गढ़वाली संस्कृति का संगम


देहरादून। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय, मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय के गढ़वाली भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से गढ़वाली भाषा दिवस का भव्य आयोजन पथरीबाग परिसर के सभागार में किया गया। पारंपरिक लोकगीतों, लोकनृत्यों और कविता-पाठ की शानदार प्रस्तुतियों ने ऐसा सांस्कृतिक वातावरण रचा कि सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ। इसके उपरांत रंग-बिरंगे परिधानों में सजे विद्यार्थियों ने गढ़वाली लोकनृत्यों के माध्यम से क्षेत्रीय संस्कृति की समृद्ध विरासत को जीवंत कर दिया। गढ़वाली भाषा की मधुरता और अभिव्यक्ति की गहराई को दर्शाते हुए कविता-पाठ ने श्रोताओं के मन को छू लिया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के माननीय प्रेसिडेंट श्रीमहंत देवेंद्र दास जी महाराज ने आयोजकों को शुभकामनाएँ प्रेषित कीं और कहा कि गढ़वाली जैसी मातृभाषाएँ हमारी पहचान और अस्तित्व का आधार हैं। इन्हें संरक्षित करना हर पीढ़ी का कर्तव्य है।
मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय की संकायाध्यक्ष प्रो. डॉ. प्रीति तिवारी ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि गढ़वाली भाषा हमारी सांस्कृतिक धरोहर है और इसे नई पीढ़ी से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है।
कार्यक्रम संयोजक डॉ. गरिमा डिमरी ने आयोजन की रूपरेखा प्रस्तुत की, जबकि संचालन यानिशा रावत और यामिनी बिष्ट ने बखूबी निभाया। विश्वविद्यालय की स्टूडेंट काउंसिल के सदस्य विनीत थापा और अर्पित ने विशेष सहयोग प्रदान किया।
बड़ी संख्या में उपस्थित छात्र-छात्राओं, प्राध्यापकों एवं विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यों ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया। प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया। अंत में आयोजन समिति ने सभी अतिथियों व सहयोगियों का आभार व्यक्त किया।




