दारोगा भर्ती घोटाले में निलंबित 20 दारोगाओं पर अब बर्खास्तगी की तलवार लटक गई है। पुलिस मुख्यालय में दारोगाओं के खिलाफ ठोस साक्ष्य उपलब्ध हैं। विजिलेंस इनसे पूछताछ करेगी। इससे पहले इन्हें बर्खास्त किया जा सकता है। विजिलेंस सूत्रों के अनुसार, फर्जी दस्तावेज के जरिये नौकरी पाने वाले दारोगाओं पर धाराएं बढ़ाई जा सकती हैं। दस्तावेजों का भौतिक सत्यापन चल रहा है।
2015 बैच के दारोगा रडार पर
दारोगा भर्ती घोटाले की विजिलेंस जांच तेज होने से पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है। वर्ष 2015 बैच के 120 दारोगा जांच के दायरे में हैं। इसमें परीक्षा के टापर समेत अन्य को रडार पर लेते हुए जांच आगे बढ़ाई जा रही है। ये सभी दारोगा कुमाऊं परिक्षेत्र में तैनात हैं।
दारोगाओं की जांच शुरू
सभी दारोगाओं का मुख्यालय से रिकॉर्ड लेकर जांच शुरू कर दी गई है। सूत्रों के अनुसार, दारोगा भर्ती में टाप करने वाले रड़ार पर हैं, क्योंकि उन्हें पुलिस की कार्यप्रणाली के बारे में पता ही नहीं है। ऐसे में सबसे पहले टापरों की ही जांच की जाएगी। इसके साथ ही पुलिस विभाग के कुछ और दारोगा आय से अधिक संपत्ति के मामले में विजिलेंस जांच के दायरे में आ सकते हैं।
ऐसे हुआ था मामले का खुलासा
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) पेपर लीक मामले की जांच के दौरान एसटीएफ को उत्तराखंड में वर्ष 2015 में हुए दारोगा भर्ती में घोटाले की जानकारी मिली थी। एसटीएफ ने इस संबंध में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार को अवगत कराया था। शासन स्तर से दारोगा भर्ती घोटाले की जांच के आदेश हुए और विजिलेंस को इसका जिम्मा सौंपा गया। विजिलेंस की जांच गतिमान है और इसका दायरा भी बढ़ता जा रहा है।
2015 में 339 दारोगा हुए थे भर्ती
वर्ष 2015 में उत्तराखंड में 339 दारोगा भर्ती हुए, जिनमें से 120 कुमाऊं में तैनात हैं। जिसमें 46 ऊधमसिंह नगर व 38 नैनीताल जिले में तैनात हैं। इसी तरह पिथौरागढ़ में 15 और अल्मोड़ा, चंपावत व बागेश्वर में सात-सात दारोगा सेवारत हैं।




