कार्रवाई:ब्लैकमेलर, नशा तस्कर, मातावाला बाग पर कब्जा,करने वाले अमन स्वेडिया पर मुकदमा दर्ज


देहरादून। देहरादून में श्री दरबार साहिब द्वारा संचालित पवित्र मातावाला बाग पर कब्जा करने और वहां नशे के कारोबार को दोबारा शुरू करने की साजिश रच रहे अमन स्वेडिया पर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है।
कोतवाली पुलिस ने मंगलवार देर रात अमन स्वेडिया के खिलाफ भारतीय न्याय सहिता 2023 की धाराओं 299, 351(2), 352, 352(2) के तहत गंभीर आपराधिक मुकदमा दर्ज कर लिया है। एफआईआर नंबर 0208 में अमन स्वेडिया पर धार्मिक स्थल की गरिमा को ठेस पहुंचाने, नशे का अवैध धंधा चलाने और सोशल मीडिया पर दरबार साहिब के खिलाफ दुष्प्रचार करने जैसे संगीन आरोप दर्ज किए गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक, पुलिस ने देर रात अमन के ठिकानों पर दबिश दी, लेकिन वह फरार हो गया। दून पुलिस की टीमें अब उसकी गिरफ्तारी के लिए लगातार दबिश दे रही हैं।
नशे के खेल की आड़ में धर्म का अपमान!
पुलिस जांच में यह सामने आया है कि अमन स्वेडिया कुश्ती और पहलवानी की आड़ में मातावाला बाग को फिर से नशे का अड्डा बनाना चाहता था, जिससे क्षेत्र के युवाओं को गुमराह कर सके। माननीय न्यायालय ने पहले ही मातावाला बाग में श्री दरबार साहिब की अनुमति के बिना किसी भी गतिविधि पर रोक लगाई है।
सोशल मीडिया से दबाव बनाने की साजिश भी नाकाम
पकड़े जाने के डर से अमन स्वेडिया और उसके गुर्गों ने श्री दरबार साहिब के खिलाफ सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार भी शुरू कर दिया, लेकिन पुलिस ने इसे गंभीरता से लिया और त्वरित जांच कर केस दर्ज किया।
दरबार साहिब का सख्त रुख – 25 करोड़ की मानहानि का मुकदमा
श्री दरबार साहिब प्रबंधन पहले ही अमन स्वेडिया के खिलाफ 25 करोड़ रुपये की मानहानि का मुकदमा न्यायालय में दर्ज करा चुका है, जिस पर कार्यवाही जारी है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की दो टूक
एसएसपी अजय सिंह ने स्पष्ट कहा, “कानून को हाथ में लेने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। समाज में अशांति और धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिशें किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होंगी।”
जल्द हो सकती है गिरफ्तारी, संपत्ति कुर्की की तैयारी
पुलिस सूत्रों का मानना है कि अमन स्वेडिया की गिरफ्तारी कभी भी हो सकती है और उसकी अवैध रूप से अर्जित संपत्ति की कुर्की की प्रक्रिया भी जल्द शुरू होगी।
सीधा संदेश: जैसी करनी वैसी भरनी!
यह मामला इस बात का प्रतीक है कि जो लोग धर्म और समाज के खिलाफ साजिशें रचते हैं, उन्हें कानून का डंडा जरूर झेलना पड़ता है।
बोया पेड़ बबूल का, आम कहां से होय।



