उत्तराखंड

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में माइक्रोसर्जरी की मिसाल — मरीज का पैर बचा, मिली नई ज़िंदगी

देहरादून। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में प्लास्टिक सर्जरी विभाग की टीम ने माइक्रोवैस्क्युलर सर्जरी द्वारा एक गंभीर रूप से बीमार मरीज का सफल उपचार कर उसकी जान बचाई। ज्वालापुर, हरिद्वार निवासी मोहम्मद अफजल को डायबिटीज के कारण दाएँ पैर में संक्रमण और हड्डी गलने की स्थिति में अस्पताल में भर्ती किया गया था।

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प्रोफेसर डॉ. भावना प्रभाकर के निर्देशन में प्रारंभिक उपचार के बाद घाव की सफाई हेतु डिब्राइडमेंट सर्जरी की गई। इसके पश्चात् माइक्रोवैस्क्युलर फ्री-फ्लैप सर्जरी के माध्यम से स्वस्थ हिस्से से लिए गए मोटे ऊतक (टिश्यू) को प्रभावित भाग पर प्रत्यारोपित किया गया। यह अत्याधुनिक प्रक्रिया माइक्रोस्कोप की सहायता से नसों और रक्त वाहिकाओं को जोड़कर की जाती है।

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डॉ. प्रभाकर ने बताया कि यदि केवल स्किन ग्राफ्ट लगाया जाता तो मरीज को चलने में कठिनाई और संक्रमण दोबारा होने का खतरा बना रहता। माइक्रोसर्जरी ने न केवल पैर को बचाया बल्कि मरीज को सामान्य जीवन जीने का अवसर दिया।

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उन्होंने कहा कि श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में माइक्रोवैस्क्युलर सर्जरी से संबंधित सभी अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। यह तकनीक गंभीर चोटों, जलने, कैंसर सर्जरी के बाद हुए ऊतक नुकसान और अंग पुनर्निर्माण में अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रही है।

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