उत्तराखंड

डीएम सविन बंसल की संवेदनशील पहल से विधवा शोभा का घर बचा, बैंक ने लौटाए कागज़

देहरादून।
जिलाधिकारी सविन बंसल की संवेदनशील पहल ने एक बार फिर यह साबित किया है कि प्रशासन केवल आदेश देने तक सीमित नहीं, बल्कि जन-पीड़ा को महसूस कर राहत देने वाला तंत्र भी है।
विगत माह व्यथित विधवा शोभा रावत अपने शत-प्रतिशत दिव्यांग बेटे और बेटी के साथ डीएम से मिलने पहुंची थी। उसने बताया कि पति की 2024 में मृत्यु के बाद बैंक ऋण का भारी बोझ सिर पर है। आईसीआईसीआई बैंक से लिए गए 17 लाख के ऋण में से इंश्योरेंस राशि समायोजित होने के बाद भी करीब 5 लाख रुपये का बकाया शेष था, जिसे चुकाने की उसकी क्षमता नहीं थी।

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डीएम सविन बंसल ने तत्काल मामले को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम (न्याय) कुमकुम जोशी को बैंक से समन्वय कर समाधान निकालने के निर्देश दिए।
डीएम के हस्तक्षेप और निरंतर फॉलोअप के परिणामस्वरूप बैंक ने सिर्फ 10 हजार रुपये में 5 लाख का बकाया सेटल कर ‘नो ड्यूज’ जारी किया और घर के कागज़ लौटाए।

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आज शोभा अपने दोनों बच्चों संग कलेक्टरेट पहुंची और भावुक होकर बोली —

डीएम साहब ने हमारे घर और इज़्ज़त दोनों को बचा लिया। अब हमें फिर से जीने की उम्मीद मिली है।

 

डीएम सविन बंसल ने शोभा को राइफल क्लब से आर्थिक सहायता प्रदान करने के निर्देश भी जारी किए हैं ताकि वह आत्मनिर्भर बन सके।
उन्होंने कहा —

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प्रशासन का दायित्व सिर्फ कानून लागू करना नहीं, बल्कि हर असहाय नागरिक के चेहरे पर मुस्कान लौटाना है।

 

डीएम के इस मानवीय हस्तक्षेप ने जनमानस में शासन-प्रशासन के प्रति विश्वास को नई ऊँचाई दी है। रोजगार, शिक्षा, ऋणमाफी और संपत्ति वापसी जैसे मामलों में जिलाधिकारी के नेतृत्व में हो रही त्वरित कार्यवाही देहरादून को संवेदनशील प्रशासन का उदाहरण बना रही है।

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