उत्तराखंड

जिलाधिकारी पौड़ी पर अभियन्ताओं का गुस्सा फूटा, एफआईआर को बताया तानाशाही

पौड़ी गढ़वाल। जिलाधिकारी पौड़ी द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत अधिशासी अभियन्ता, राष्ट्रीय राजमार्ग खंड श्रीनगर के खिलाफ कराई गई प्राथमिकी ने अभियन्ताओं में गहरा रोष पैदा कर दिया है। उत्तराखण्ड इंजीनियर्स फेडरेशन की आपात बैठक में लोक निर्माण, सिंचाई, पेयजल, पावर कॉरपोरेशन, ग्रामीण निर्माण, पावर ट्रांसमिशन और जल विद्युत निगम समेत सभी अभियन्ता संगठनों ने भाग लिया। बैठक में कार्रवाई को एकतरफा, मनमाना और तानाशाही बताया गया। अभियन्ताओं ने कहा कि 11 सितम्बर को भारी बारिश से श्रीनगर-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग का 40-45 मीटर हिस्सा ध्वस्त हो गया था, बावजूद इसके अभियन्ता ने जान जोखिम में डालकर मार्ग खोलने का कार्य किया। ऐसे समय में एफआईआर दर्ज होना न केवल हठधर्मिता है, बल्कि आपदा प्रबंधन कार्यों को कमजोर करने वाला कदम भी है।

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बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया कि अभियन्ता 15 सितम्बर को सभी जिलाधिकारियों के माध्यम से ज्ञापन देंगे और काली पट्टी पहनकर काम करेंगे। 16 सितम्बर को विधायकों व सांसदों के जरिए शासन को ज्ञापन भेजा जाएगा। अभियन्ताओं ने मांग की है कि प्राथमिकी तुरंत निरस्त की जाए, जिलाधिकारी पौड़ी के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई हो और भविष्य में ऐसे पदों पर संवेदनशील व व्यवहारिक अधिकारियों की ही तैनाती की जाए। चेतावनी दी गई है कि यदि 16 सितम्बर तक मांगे पूरी नहीं होतीं तो 17 सितम्बर को प्रांतीय कार्यकारिणी की बैठक में आंदोलन की अगली रूपरेखा तय की जाएगी।

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