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सवाल:बेसहारा विकलांग शंकर सिंह को पारिवारिक पेंशन की दरकरार, अधिकारियों की उदासीनता पर उठे सवाल

देहरादून/लखनऊ। एक ओर सरकारें विकलांगों और वंचित वर्गों के लिए योजनाओं और सामाजिक सुरक्षा की बात करती हैं, वहीं दूसरी ओर धरातल पर हकीकत कुछ और ही नजर आती है। ऐसा ही एक मामला शंकर सिंह निवासी ग्राम पंवार, पोस्ट हिन्डोलखाल जिला टिहरी गढ़वाल से सामने आया है। शंकर सिंह वर्षों से अपनी पारिवारिक पेंशन के लिए विभागीय दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दिनांक 05 मार्च 2024 को पत्र संख्या चार/बी.98-81(डी) 120 के माध्यम से शंकर सिंह की पारिवारिक पेंशन के संबंध में तीन बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई थी। इस पर उत्तराखंड पुलिस ने पूर्ण जानकारी पत्रांक 247/1980 दिनांक 05 जुलाई 2024 को समय से प्रेषित कर दी। इसके बावजूद अब तक शंकर सिंह को पेंशन स्वीकृत नहीं की गई है।

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शंकर सिंह एक गंभीर रूप से विकलांग, निर्धन एवं पूर्णतः आश्रित नागरिक हैं। उनके पास न आय का कोई साधन है और न ही देखभाल के लिए कोई स्थायी संरचना। पेंशन ही उनके जीवनयापन का एकमात्र आधार है। ऐसे में वर्षों से लंबित उनका प्रकरण न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि संवेदनशीलता की भी कमी दर्शाता है।

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जानकारों का कहना है कि पारिवारिक पेंशन जैसे मामलों में स्पष्ट कानूनी प्रावधान हैं, और विकलांगता की स्थिति में तो इन मामलों को प्राथमिकता से निपटाया जाना चाहिए। इसके बावजूद मामला वर्षभर से लंबित है, और पीड़ित को आज तक किसी प्रकार की सहायता भी नहीं मिल सकी है।

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शंकर सिंह के परिजन एवं सामाजिक कार्यकर्ता पदम सिंह कुमाई ने संबंधित अधिकारियों से अपील की है कि वे इस मामले को मानवीय दृष्टिकोण से देखें और शीघ्र उचित कार्यवाही करते हुए पेंशन स्वीकृत करें। साथ ही, अब तक की गई कार्यवाही की जानकारी भी पारदर्शिता के साथ साझा की जाए।

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